नए माता-पिता के लिए 8 सबसे महत्वपूर्ण बेबी केयर टिप्स

नवजात शिशु देखभाल के सुझाव: नए माता-पिता के लिए 8 महत्वपूर्ण टिप्स:-


(Newborn Baby Care Tips: Important Tips for New Parents)



नए माता-पिता के लिए 8 सबसे महत्वपूर्ण बेबी केयर टिप्समाता-पिता बनना आपके जीवन का एक सुखद पल होता। जो आपके जीवन में खुशीयों को लाने के साथ-साथ एक नई जिम्मेदारी भी लाता हैं। नवजात शिशु की अच्छी देखभाल और पालन-पोषण का ध्यान रखना एक नई जिम्मेदारी होती है। 

यहाँ पर आपके नवजात शिशु के लिए महत्वपूर्ण सुझाव की जानकारी मिलेगी। जिनकी आपको सबसे ज्यादा ज़रूरत है। एक नए माता-पिता होना अच्छी बात है। आप जब पहली बार माँ या पिता बनते है, ये पल बहुत ही खुशियो से भरा होता है। मगर एक नए माता पिता के लिये सब कुछ नया होता है। नवजात शिशु को सभालना एक चुनौती भरा सफर हो सकता है। नए माता पिता को तब बहुत परेशानी हो जाती है, जब उन्हे कोई गाईड करने वाला नही  होता है ।

आइए जानते हैं नवजात शिशु की देखभाल के कुछ महत्वपूर्ण टिप्स:-

Newborn Baby Care Tips Important Tips for New Parents

एक नवजात शिशु जब रोता है, तब माता पिता को अकसर लगता है, कि शिशु को भूख लगा हो, और तब शिशु को दुध पिलाना चाहते है, मगर शायद आपके शिशु का रोना कभी- कभी शिशु नींद आ रही हो, तब भी कई शिशु रोने लगते है, और आपके गोद मे आने के बाद सो जाया करते है। और आपको तब समझ मे आता है, कि आपके शिशु को निंद आ रही थी। 

👉आज आप यहाँ अपने शिशु की महत्वपुर्ण कौशल के बारे मे जानेंगे। यह कौशल आपको अपने नवजात शिशु की जरुरतों के पालन-पोषण मे मदद करेगी।

नवजात शिशु के नाखून :-

नवजात शिशु हर दिन कुछ सेमी बढ़ता है, शिशु की नाखून भी शिशु के विकास का हिस्सा है। आप आपने शिशु की नाखूनों पर ध्यान नही देगें तो शिशु खुद को चोट पहुँचा सकता है। शिशु के नाखून जब नुकुली हो जाएगी तो शिशु अपने चेहरे को नोंच सकता है जो शिशु को पता भी नही है कि शिशु ने खुद को चोट पहुचा ली है। इसलिए आप हमेशा इस बात का ध्यान रखे और हर सप्ताह अपने नवजात शिशु के नाखूनों को चेक करते रहे।

  • आप अपने शिशु के नाखूनों को साफ करने के लिए शिशु के सो जाने का इंतेजार करे क्योंकि शिशु सोते समय बहुत शांत होता है और आपको शिशु के नाखूनों को साफ या कट करने मे परेशानी नही होती है। 
  • चुंकि आप नए माता-पिता है तो आप आपने शिशु के नाखूनों को काटते समय एक दुसरे की मदद करे। आप में से एक अपने बच्चे की हथेली और उंगलियों को स्थिर रखता है जबकि दूसरा मिनी-मैनीक्योर निभाता करता है। क्लिपर या कैंची का इस्तेमाल पुरी सावधानी से करे।


याद रखे शिशु का कोमल उंगलियों को इनकी आदत नही है और शिशु की उंगलियों के साथ-साथ नाखून भी बहुत ही कोमल होती है।

नवजात शिशु को लपेटना:-

आपका नवजात शिशु जब जन्म लेता है तब तो वहाँ नर्स आपको पहले से ही शिशु को लपेट कर देती है मगर आपको अपने शिशु को हर बार लपेटना होता है। नहलाने के बाद, शिशु के बार बार पेशाब कर उनके कपड़े गन्दे करने के बाद। आपको हमेशा शिशु को अच्छी तरह से लपेटने की जरुरत तब भी होती है जब आपके शिशु को आपके परिवार के सदस्यों को गोद मे लेने मे कोई परेशानी ना हो।

आपको एक हीरे के आकार में हल्का कंबल का इस्तेमाल करे। शीर्ष कोने को थोड़ा नीचे मोड़ें और अपने शिशु को उस पर रखें, शिशु की गर्दन ऊपर की ओर उठी हुई हो। कंबल के निचले कोने को ऊपर उठाएं, जिससे शिशु के पैरों को फैलाने या मोड़ने के लिए कुछ जगह छोड़ दें, और कोने को कंधों के पास रखें, इसे आवश्यकतानुसार मोड़ दें। बच्चे को पकड़े हुए रखे ताकि बच्चा आपकी मेहनत को दोहरा ना दे, दाहिने कोने को पकड़ें और उसे शिशु को लपेटे, उसे बाईं ओर उसकी पीठ के निचले हिस्से में कसकर बांधें। फिर बाएं कोने को पार करें और इसे अपने शरीर के दाईं ओर लपेटें, अंत में रोल के नीचे, बर्रिटो-स्टाइल को टक कर दें।

नवजात शिशु नाल / नाभी की देखभाल:-

शिशु की जन्म के बाद सबसे ज्यादा ख्याल रखने वाली जगह शिशु की नाभी ही है, जिसे स्वच्छ और सूखी रखने की आवश्यकता हैं, जो शिशु गर्भनाल के लिए याद रखने की आवश्यकता है। 

जिसके लिए शिशु को केवल पहले दो हफ्तों तक स्पंज स्नान किया जाता है, जब तक कि नाल और संलग्न क्लैम्प सिकुड़ कर ऊपर नहीं गिर जाते। (यदि यह थोड़े से पानी से बिखर जाए तो चिंता न करें।)

कुछ नवजात डायपर में जलन से बचने के लिए कटआउट होता है, उस असंभावित घटना में जिसे आप संक्रमण के लक्षण देखते हैं (पीले रंग का निर्वहन, दुर्गंधयुक्त या लालिमा), अपने बाल रोग विशेषज्ञ को बुलाएं।

नवजात शिशु की चूतड़ / नितम्ब की सफाई :-

गंदे डायपर को हटाने से पहले पोंछे, नीचे की ओर डायपर खिंचे, अपने बच्चे के नितम्ब के नीचे से गंदे डायपर के दोनों टैब को हटाए। और गंदे डायपर को हटाने के लिए अपने दूसरे हाथ का उपयोग करके एक हाथ में बेबी के पैर को उठाएं, और इसे सेट करें।

  • यदि आपका शिशु एक लड़का है, तो अब समय आ गया है कि शिशु के लिंग को धो-पोंछ कर ढँक दे।
  • लड़कियों के लिए, लेबिया की त्वचा की सिलवटों में छिपी किसी भी गोली को पोंछना सुनिश्चित करें। (कोई भी सामान्य सफ़ेद डिस्चार्ज रह सकता है।) फिर मूत्र साफ करें, मूत्रमार्ग में फेकल बैक्टीरिया (छोटी शुरुआत जो मूत्राशय की ओर जाता है) से बचने के लिए आगे-पीछे पोंछते हुए साफ़ करें। 
  • लड़कों के लिए, पहले लिंग को धो-पोंछ करे, फिर अंडकोष के नीचे साफ करें और आवश्यकतानुसार लिंग को पोंछें।
  • जगह जगह इस्तेमाल किए गए डायपर को पोंछे। डायपर क्रीम लगाएं और क्लीन डायपर पहना दे।

शिशु को नहाने के बाद अच्छी तरह से पोंछे:-

अपने दोनों हाथों का उपयोग करते हुए, शिशु के बाहों के नीचे अपने बच्चे को पकड़ें, अपनी उंगलियों के साथ उसकी गर्दन और सिर के पीछे का समर्थन करें। उसे पानी से बाहर उठाएं और फर्श पर एक तौलिया पर उसकी पीठ पर धीरे से उसे लिटाएं - एक शिशु को लपेटने के लिए सबसे आसान स्थान।

शिशु की डायपर क्षेत्र में त्वचा लाल होना:-


जब मूत्र और मल एक साथ मिलाते हैं, तो वे एक अमोनिया एसिड बनाते हैं, जिससे डायपर क्षेत्र में त्वचा लाल और कच्ची हो सकती है। शिशु की  डायपर को बार-बार बदलें, और हर बार एक जिंक ऑक्साइड-आधारित क्रीम/ पॉडर लगाए, ताकि आप एक शिशु को डायपर रैश होने से बचा सकते है। यह एंटी-वायरल, एंटी-बैक्टीरियल और मॉइस्चराइजिंग है।

प्रत्येक दिन थोड़ा समय शिशु को डायपर इस्तेमाल ना करने से शिशु को दाने होने से रोका जा सकता है। शिशु की शरीर को ज्यादा बंद रखने से डायपर रैश होती है। 
यदि आपको शिशु के नितम्ब वाले जगह या डायपर से कभी फफोले, छीलने वाली त्वचा, या मवाद दिखाई दे, तो अपने डॉक्टर को बुलाएं। यह एक खमीर या जीवाणु संक्रमण हो सकता है जिसे दवा की आवश्यकता होगी।

नवजात शिशु की सुरक्षा:-

अपने नवजात शिशु की सुरक्षा के लिए हर माता पिता सोंचते है। जैसे-जैसे शिशु बढ़ता है और शिशु का विकास होता जाता है हर माता पिता की चिंता बढ़ती जाती है।
आपको हमेशा अपनी नज़र आपके शिशु पर रखनी चाहिए क्योंकि शिशु बढ़ने के साथ उसकी नटखट और शैतानी बढती जाती है।
आपको शिशु के घुटनो के बल रेंगते समय, सीढ़ीयो के नजदीक,उचाई वाले जगहों पर सतर्क रहने की आवश्यकता है क्योंकि ये सारे जगहो पर शिशु खुद को चोंट पहुंचा सकता है।

माँ का दुध:-


माँ का दुधशिशु के जन्म के तुरंत बाद नवजात शिशु को माँ का पीला गाढ़ा दूध पिलाना ही सबसे महत्वपुर्ण है। जिससे आपके शिशु में रोग प्रतिरोधकता बढ़ती है। डीलीवरी के  बाद माँ को सामान्य अवस्था में आने में लगभग डेढ़ माह सकते हैं। तब तक माँ को चाहिए कि खट्टे फल, नींबू, अचार, इमली की चटनी या खट्टी चीजें खाने से परहेज करे। और इससे आपके नवजात शिशु को भी दिक्कत हो सकती है। आपको कोल्ड ड्रिंक्स, चाय और कॉफी के इस्तेमाल से भी बचना चाहिए।
  • नवजात शिशु को 6 माह तक केवल माँ का दुध या स्तनपान कराना ही सही है। 
  • नवजात शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए, आपको चाहिए कि माँ के दूध के अलावा किसी चीज में नहीं दे। शिशु की स्वस्थ, पौष्टिक और सुपाच्य सारे गुण माँ के दूध मे मौजूद होते है।
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इन सारे बातों पर ध्यान दे कर आप अपने नवजात शिशु को सुरक्षित और सेहतमंद रख सकते हैं।


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