नवजात शिशु मे कौन सी हड्डी अनुपस्थित होती है।

नवजात शिशु की हड्डियों की सही गिनती नहीं की जा सकती। क्योंकि जब नवजात शिशु जन्म लेता है तो उसके शरीर में मौजूद हड्डियां 270 से 300 या 330 के आसपास होती हैं, जो नवजात शिशु के बड़े होने के साथ कुछ हड्डी एक दूसरे से जुड़ जाते है। और ये हड्डी जुड़ने के साथ-साथ नवजात शिशु के विकास मे मदद करती है और नवजात शिशु के युवा अवस्था मे कुल हड्डियों की संख्या 206 हो जाती है।

नवजात शिशु में कुल कितनी हड्डियां होती है।:-

नवजात शिशु में लगभग 300 हड्डियां होती है। इसका कोई प्रमाण नही है, यह बाल रोग विशेषज्ञ द्वारा दी गई जानकारी है। नवजात शिशु मे हड्डियों की संख्या तथा दढृत़ा दोनो में ही विकास होती है। इस दौरान हड्डियों की संख्या लगभग 270 से 320 हो जाती है। इस दौरान नवजात शिशु की हड्डियों का अस्थिकरण तेजी से होता है। नवजात शिशु में युवा से ज्यादा हड्डियां होती है। एक युवा और वयस्क व्यक्ति के शरीर मे हड्डियां की संख्या 206 होती हैं। जबकि नवजात शिशु के शरीर में हड्डियां की संख्या लगभग 300 होती हैं। कुछ हड्डियां गल जाती है और कुछ आपस में मिल जाती हैं।


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नवजात शिशु मे कौन सी हड्डी अनुपस्थित होती है ? :-

नवजात शिशु मे कौन सी हड्डी अनुपस्थित होती है।दरसअल नवजात शिशु मे हड्डिया कम नहीं होती बल्कि जैसे जैसे नवजात शिशु बड़े होते जाते है और युवा अवस्था मे पहुँचते सारे 94 हड्डियां आपस में जुड़ जाती है। एक नवजात शिशु मे मानव कंकाल (skeleton) गर्भाधान के 13 से 16 सप्ताह (3 से 4 महीने) बाद विकसित होना शुरू हो जाता है। जन्म के समय, एक नवजात शिशु में लगभग 300 हड्डियां और उपास्थियां मौजूद होते हैं, जैसे जैसे नवजात शिशु की उम्र बढ़ती है और जैसे जैसे सएक नवजात शिशु से युवावस्था होगी, शिशु की उपास्थि और हड्डियां भी आपस में जुड़ने होने लगेगी है। और आपस में जुड़ जाएगी। और सभी जुड़ कर कुल 206 सघन (compact) हड्डीओं का निर्माण करेगी। और युवावस्था में, खोपड़ी (Skull) में 26 कपालीय (Cranial) और चेहरे (चेहरे) की हड्डियां के रुप मे परिवर्तित हो जाती हैं, जो कि आपस में एक सामान झिल्ली (Membrane) से जुडी होती है। नवजात शिशु की जबड़ों की हड्डियाँ इस तरह जुड़ी होती है जो की जन्म के समय से लेकर युवावस्था से लेकर व्यस्क होने तक कोई भी फर्क नहीं पड़ता है ।

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याद रखने योग्य कुछ महत्वपुर्ण बाते:-




  1. जन्म के बाद नवजात शिशु की शारिरीक और मानसिक विकास पर विशेष ध्यान देना चाहिए। अगर कोइ भी परेशानी आपके शिशु को आ रही है तो जड़ा सा भी लापरवाही ना करे। क्योंकि समय पर इलाज ना होने पर मस्तिक पक्षाघात संबंधित परेशानी आ सकती है। जिसे डॉक्टर भी  सेरेब्रेल पाल्सी नामक का नाम देते है।
  2. हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर जितेंद्र कुमार जैन ने बताया कि नवजात शिशु की हड्डियों का विकास नहीं हो पाता है। मांस पेशियों में खिंचाव आता है। कुछ शिशुओ का पांव या पंजा छोटा-बड़ा हो सकता है। कई बार ऐसा होता है कि कुछ अंग मे  हड्डी ही नहीं होती है। इस प्रकार की कमियों के वजह से नवजात शिशु मे सेरेब्रल पाल्सी जैसी बीमारी हो सकती है। लेकिन समय पर उपचार से बच्चे को इन तरह की बिमारी से बचाया जा सकता है ।
  3. नवजात शिशु के जन्म के बाद माता-पिता को ध्यान देना चाहिए कि 3 महीने का शिशु गर्दन घुमा पाता है या नही। ऐसे समान्यतः दो या तीन महीने के अंदर बच्चे को स्वयं से गर्दन उठानी या घुमाना चाहिए। अपने नवजात शिशु को किसी हड्डी रोग विशेषज्ञ को दिखाएं। इस तरह की परेशानी मे सही समय पर इलाज शुरू करवा दें।
  4. छह से सात महीने का नवजात शिशु खुद से बैठना शुरू कर देता है या नही।
  5. 1 साल का नवजात शिशु चलने की कोशिश करना शुरू कर देता है। अगर ऐसा नहीं हो तो आपको तुरंत बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर से सलाह लेते है तो ये आपके और आपके शिशु की सेहत और भविष्य के लिए अच्छा रहेगा।
  6. नवजात शिशु को हड्डियों में दर्द रहता है तो यह विटामिन डी और कैल्शियम की कमी के कारण हो सकता है। आपके नवजात शिशु के खान-पान पर विशेष ध्यान देंने की जरुरत है। जिससे आपके शिशु को सही मात्रा मे विटामिन डी और कैल्शियम की कमी पुरी हो सके।

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