The Right and Safest Way to Sleep Your Newborn – अपने नवजात बच्चों को सुलाने का सही और सुरक्षित तरीका
नवजात शिशु के अच्छी नींद के लिए सुलाने का सही तरीका :-
The Right and Safest Way to Sleep Your Newborn: नवजात शिशु के सोने के लिए अच्छी नींद की आवश्यकता होती है। जो नवजात शिशु के विकास में मदद करता है। यहाँ कुछ प्रभावी और पारम्परिक तरीका बताये गये है जो आपके नवजात शिशु के अच्छी और गहरी नींद और आरामदायक तरीके है। जो आपके नवजात शिशु को पूरी रात सोने मे मदद करते है।
1. जाँच करें और कंसोल (Way to Sleep Your Newborn) :-
जाँच करें और कंसोल विधि जिसे फ़र्बर विधि के रूप में भी जाना जाता है। या प्रगतिशील प्रतीक्षा या अंतराल विधि भी कहते है। यह विधि पर कई विविधताएं हैं। लेकिन सामान्यतः सिद्धांत समान हैं।
फ़ेरबर एक जाना माना तरीका है जिसका नाम रिचर्ड फेरबर से मिला है, सेंटर फॉर पीडियाट्रिक स्लीप डिसऑर्डर्स एट चिल्ड्रन हॉस्पिटल के डाइरेक्टर, इस तकनीक में बच्चे को खुद अपने आप सोने के लिए सिखाया जाता है। आप अपने नवजात शिशु को पूर्व निर्धारित अंतराल पर Sleep Your Newborn के लिए जांचना रखना।
लेकिन कभी भी उन्हें सोने के लिए जोड़ न डाले। क्योंकि इस विधि का मतलब है कि आपका नवजात शिशु खुद ही सो जाएगा। ऐसा करने से आपके नवजात शिशु मे खुद सो जाने का विकास होता है।
फ़ेरबर एक जाना माना तरीका है जिसका नाम रिचर्ड फेरबर से मिला है, सेंटर फॉर पीडियाट्रिक स्लीप डिसऑर्डर्स एट चिल्ड्रन हॉस्पिटल के डाइरेक्टर, इस तकनीक में Your Newborn sleep अपने आप सोने के लिए सिखाया जाता है।
यह विधि रिचर्ड फेरबर के द्वारा रिसर्च किया गया है। जो कि डाइरेक्टर के पद पर एक चिल्ड्रन हॉस्पिटल मे कार्यरत है। यह हॉस्पिटल सेंटर फॉर पीडियाट्रिक स्लीप डिसऑर्डर्स एट चिल्ड्रन हॉस्पिटल है।
The Right and Safest Way to Sleep Your Newborn:
इस विधि के बारे में बताया जाता है कि Sleep Your Newborn के क्रियाओ और आदतो पर निर्भर करता है। जब your newborn के दुबारा sleep का समय आता है तब नवजात शिशु फिर से पिछले तरीके को तलाशते है। जैसे कि अगर नवजात शिशु ने पिछली बार आपकी गोद में झुलते हुए सोया हो तो शिशु उसी आदत को फिर sleep के लिए your newborn तलाशना शुरु करते है। और जब आपके शिशु को उसी तरिके सुलाया जाता है तब आपके शिशु का इंतजार खत्म हो जाता है और आपका नवजात शिशु तुरंत सो जाता है।
👉इस विधि के लिए एक निश्चित नियम का पालन करना होता है। आपको अपने नवजात शिशु को खुद से सोने के लिए आदत डालना है। इसके लिए आप अपने नवजात शिशु को पालने में सुलाये और आपको अपने नवजात शिशु के नजरो से दुर रहना है। जब आपको अपने करीब ना पाकर आपका नावजात शिशु रोना शुरु करे तब तक आपको इंतजार करना है। आपका नवजात शिशु जब 5 मिनट तक लगातार रो रहा है तो आपको सिर्फ आपने नवजात शिशु के पास जाना है और बिना गोद में लिए शांत कराये। आपको अपने नवजात शिशु को शांत करने के बाद फिर से यह विधि दोहराना है।
फिर से अपने नवजात शिशु के नजरो से दुर चले जाए या हट जाए। पिछली बार आपने 5 मिनट का इंतजार किया इस बार आपको 10 मिनट तक अपने नवजात शिशु के पास नही जाना है। फिर 10 मिनट के बाद आपको दुबारा अपने नवजात शिशु को शांत करना है। ऐसा तब तक दोहराना जब तक कि your newborn को sleep ना आ जाए और वो सो ना जाए।
ऐसा करते रहने पर एक सप्ताह मे आपका शिशु सिर्फ पालने मे जाने के बाद खुद सो जाएगा। यह एक विशेषज्ञों द्वारा रिसर्च किया गया पद्धति है। इस विधि से कोइ हानि नही पहुँचती। हाँ मगर आपका नवजात शिशु शुरु मे बहुत रोता है। और कुछ माँ इस पद्धति को लागू नही कर पाते क्योंकि उन्हे अपनी नवजात शिशु को अधिक समय तक रोना अच्छा नही लगता।
नोट: कुछ नवजात शिशु पर इस पद्धति का असर जल्दी नहीं पड़ेता है। यदि आपके नवजात शिशु को इस विधि को अपनाने में दो सप्ताह से अधिक समय लगता है। तो आपको अपने बाल रोग विशेषज्ञ से एक अलग तरीके से Way to Sleep Your Newborn के लिए परामर्श ले सकते हैं। जब आपका नवजात शिशु बड़ा हो जाए,तो आप इस पद्धति को दुबारा दोहराना सकते है।
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2. चेयर विधि (Way to Sleep Your Newborn):-
चेयर विधि एक बहुत ही क्रमिक नींद प्रशिक्षण पद्धति है। डॉ मैकगिन कहते है। कि नवजात शिशु के लिए दो सप्ताह की योजना देता है। और माता-पिता की ओर से बहुत सारे सावधानियो की आवश्यकता होती है। इसके लिए कमरे से बाहर जाने के बजाय, आप अपने नवजात शिशु के पालना के बगल में एक कुर्सी पर बैठते जाते हैं। जब आपका नवजात शिशु सो जाते हैं। तो आपको कमरे से बाहर चले जाना है। लेकिन हर बार जब आपके शिशु उठ जाते हैं तो कुर्सी पर वापस बैठ जाए। जब तक कि शिशु वापस सो नहीं जाते। आप अपनी कुर्सी को तब तक धीरे धीरे और आगे बढ़ाएं जब तक आप कमरे से बाहर नहीं निकल जाते।
डॉ मैकगिन कहते हैं। इस पद्धति का समर्थक यह है कि आपके शिशु को लगता है कि माँ या पिता में कोइ एक जो शिशु को सुला रहा था। वह अभी भी वहीं है। लेकिन वहाँ अभी भी कुछ रोने की संभावना होगी, और अब आपका नवजात शिशु देख रहा होता है कि आप उन्हें रोते हुए देख रहे हैं या नही। इस पद्धति को अपनाना वास्तव में कठिन हो सकता है।
3. उठाओ, नीचे रखो:-
सात महीने से छोटे नवजात शिशु इस पद्धति को पसंद करता है। इस विधि मे आपको अपने नवजात शिशु को सोने मे पारम्पिक तरिके से अपने नवजात शिशु को सुला सकते है। आपको अपने नवजात शिशु के पालना पास बैठना है या खड़े रह सकते हैं। और पालने को हिला सकते हैं। अपने नवजात शिशु के पेट या सीने को थपथपा सकते हैं। या उन्हें शांत करने और आश्वस्त और सुरक्षित होने का महसूस करवाने मे मदद कर सकते है।
अब आपको थोड़ा अजीब सी हरकते करनी है। जैसे कि आपको आगे बढ़ना हैं, और आपके नवजात शिशु को उठाएं, लेकिन सो जाने से पहले उन्हें वापस नीचे रख दें। आपको बस अपने नवजात शिशु को शांत करने में मदद करना है, और फिर आपका नवजात शिशु सो जाएगा।
हालांकि ये तरीके नवजात शिशु के लिए वास्तव में अच्छी तरह से काम कर सकते हैं। छह या सात महीनों के बाद आपकी उपस्थिति आपके शिशु को अधिक परेशान कर सकती है। और उन्हें उठाकर उन्हें वापस नीचे रखने से बहुत अधिक उत्तेजना की संभावना होगी। और आपका नवजात शिशु फिर गहरी नींद में जाने तक आपको कही जाने नही देगा।
4. नवजात शिशु को तय समय पर जगाना (Way to Sleep Your Newborn):-
इस विधि से आप अपने नवजात शिशु के सोने के आदतो में बदलाव लाते है। और आपका शिशु खुद ही समझ जाता है कब उसे उठना है और कब सोना है।
आपको अपने नवजात शिशु के सोने के समय और जागने के समय पर ध्यान देना है। आपको एक सप्ताह मे पता चल जाएगा कि आपका नवजात शिशु रोज कब सोता है और कब जागता है। आपका नवजात शिशु रोज रात्री 7 बजे सो जाता है तो लगभग शिशु रात में एक दो बार उठता होगा। आपके नवजात शिशु जब सुबह उठ जाता है। उस समय से 15 मिनट पहले उसे आप उठा दे। यानि अगर आपका नवजात शिशु 5 बजे सुबह उठ जाता है तो आपको उसे सुबह 4:45 मे ही उठा देना है। कुछ दिनो बाद आपको यह समय 15 मिनट आगे बढाना है। अब फिर से 5बजे सुबह अपने नवजात शिशु को जगा दे। फिर कुछ दिनो बाद 5:15 बजे सुबह उठाए। ऐसा करने से आप अपने नवजात शिशु के सोने मे कुछ समय और जोड़ देते है। और आपका नवजात शिशु ज्यादा समय तक सोता है।
लाभ:-
- ऐसा करने से आपका नवजात शिशु हमेशा आपके उठाने का इंतज़ार करेगा।
- आपका नवजात शिशु लम्बे समय तक सोयेगा। और नींद पूरी होने तक सोता रहेगा।
- आप अपने नवजात शिशु के जागने का इंतज़ार नही करना होता। आपको अपने नवजात शिशु के जागने का पूर्वानुमान हो जाता है।
- इस विधि मे आपके नवजात शिशु ज्यादा नही रोते। आपको अपने नवजात शिशु के नींद के क्रम समझ मे आने लगता है।
नोट: विशेषज्ञ इस पद्धति से नवजात शिशु के सोने के पैटर्न का समर्थन नही करते। विशेषज्ञ का कहना है कि हर नवजात शिशु अलग होते है। यह विधि सब पर कामगार नही है। और नवजात शिशु के नींद के पैटर्न शिशु के उम्र के अनुसार बदलते रहते है। इस पद्धति को शिशु को अपनाने में लम्बा समय लगता है।
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5. शिशु के नींद का पैटर्न दुबारा से लागू करना (Way to Sleep Your Newborn):-
यह एक प्राकृतिक विधि है। इस विधि मे आपके नवजात शिशु के सामान्य नींद पैटर्न के अनुसार उन्हे सोने मे मदद मिलती है। इस विधि में आपको अपने नवजात शिशु को जरुरत से ज्यादा थकाया नही जात, जब शिशु को खुद नींद आए, तो उसे सुला देना चाहिए।
नवजात शिशु को हर एक दो घंटे में नींद आती है और उसे सोने की जरुरत होती है। आपको अपने नवजात शिशु को किसी भीतरी के का उपयोग करे लेकिन आपको ध्यान रखना चाहिए कि आपको अपने नवजात शिशु को सुलाने के लिए शिशु के बिस्तर का ही उपयोग करे। आपको अपने नवजात शिशु के नींद आने के लक्षण पर ध्यान देना चाहिए। और आपको हमेशा तय समय पर अपने नवजात शिशु को सुला देना चाहिए।
विशेषज्ञ कहते है, कि कभी भी सोये हुए नवजात शिशु को अचानक नही जगाना चाहिए। और नवजात शिशु अगर एक साल का क्यो ना हो जाए, दिन मे लम्बे समय तक सोने से उनके रात के समय सोने पर कोई असर नही पड़ता। और अपने नवजात शिशु के सोने का एक निर्धारित समय निश्चित होना चाहिए।
लाभ:-
- यह प्राकृतिक तरीका शिशु को किसी तरह की समस्या से बचाता है।
- विशेषज्ञ का मानना है कि एक नवजात शिशु को प्राकृतिक तरीके या पद्धति से सुलाने के कई फायदे है। और एक नवजात शिशु को हमेशा प्राकृतिक विधि से ही सुलाया जाना चाहिए।
6. नवजात शिशु के साथ माता पिता का सोना (Attachment parenting Way to Sleep Your Newborn):-
यह एक प्रसिद्ध तरीका है इस तरीके का उपयोग बहुत से देशो मे आम है। इसमे नवजात शिशु अपने माता पिता के साथ सोता है। जिससे आपका नवजात शिशु खुद को सुरक्षित महसूस करेगा। अगर रात में आपका नवजात शिशु को भुख लगेगी, तो आप दोनो माता पिता मे कोई एक जागेगा और बच्चे को दुध पिलाने के बाद वापिस सुला देगा। जिससे सारी जिम्मेदारी माँ पर नही बनेगी।इस पद्धति में साथ सोने की सलाह दी जाती है जो कई देशों में बहुत आम है। इसे अटॅचमेंट पेरेंटिंग भी कहा जाता है, इसमें बच्चा हर रात अपने माता–पिता के साथ सोता है।
ध्यान रखने योग्य बाते:-
Tips The Right and Safest Way to Sleep Your Newborn:
- अगर आप अपने नवजात शिशु को बीच मे सुलाते है तो अपने नवजात शिशु के लिए ज्यादा जगह बना कर रखे। अगर बिस्तर छोटा हो तो नवजात शिशु के लिए पालने का ही इस्तेमाल सही है।
- आपका बेड छोटा होने पर आपसे गलती हो सकती है कि आप गलती से अपने नवजात शिशु के उपर सो गये तो नवजात शिशु का दम घुट सकता है। या आपके भाड़ से शिशु का शरीर का कोई भाग दबा सकता है।और शिशु आपके शरीर का वजन बर्दास्त नही कर सकता।
- आप अगर रजाई या कम्बल का इस्तेमाल कर रहे है तो नवजात शिशु को सुरक्षित रखे। इससे शिशु को सांस लेने में परेशानी हो सकती है।
- अगर आप किसी तरह के शराब या दवाई या कुछ भी सेवन किए हो तो नवजात शिशु के साथ ना सोए।
- शिशु के लिए मुलायम बिस्तर और सुती चादर और मुलायम तकिये का ही उपयोग करे।
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आपका नवजात शिशु खुद सो जाए, इसके लिए क्या करना चाहिए? :-
नवजात शिशु हमेशा अपने सोने के क्रम को जोड़ता रहता है। अगर नवजात शिशु रोज रात्री 7 बजे सोता है तो जरुरी नही वो खुद सो जायेगा। आपको अपने नवजात शिशु के सोने के समय कुछ एक निश्चित कार्य करना होगा। जैसे कि सोने के समय शिशु को पालने मे रखना। या गोद मे लेकर झुलाना। शिशु इसे अपने नींद से सम्बंधित कर लेता है। अगर आप अपने नवजात शिशु के सोने के समय लोरी गाते है या गाना गुनगुनाते है तो आपका शिशु के सोने के समय उसी तरह की एक्टिविटी का इंतजार करेगा।
नवजात शिशु को खुद से सोना सीखाना तीन महीने के बाद सही होता है। जरुरी नही शिशु तीन महीने मे खुद से सोना सीख जाए कुछ शिशु 1 साल के बाद ऐसा करते है। अगर आप अपने नवजात शिशु मे खुद से सुलाने के गुण को विकसित करना चाहते है तो आपको अपने नवजात शिशु को एक बेडटाइम रुटीन सेट करना होगा।
जैसे कि:-
अपने नवजात शिशु को एक निश्चित समय पर रोज अच्छे से पालने पर लेटा दे। दुध पिलाए,अच्छी तरह से चादर से या शिशु के मुलायम कम्बल से छाती ढक दे। और कमरे से या शिशु के आखों से दुर से देखे। कमरे की रोशनी धीमी कर दे। ऐसा रोज करने से आपका शिशु समझ जाता है कि अब उसके सोने का समय है।
जरुरत हो तो आप अपने शिशु को शुरुवात मे कभी कभी सहलाने या थपथपाने के लिए शिशु को देखने जा सकते है। जब तक आपका शिशु सो ना जाए आपको अपने नवजात शिशु को देखते रहना चाहिए। आप चाहे तो दुर से अपने शिशु को देख सकते है।
नोट : अपने नवजात शिशु को उचित समय अवश्य दें। जिससे आपका शिशु खुद से सोने का प्रयास कर सके। यदि नवजात शिशु को खुद से सोने में मुश्किल हो रही हो, तो आपको अपने बाल रोग विशेषज्ञ चिकित्सक से जरुर सलाह लेनी चाहिए। हो सकता है आपके शिशु को किसी तरह की परेशानी हो सकती है।
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जब आपका नवजात शिशु सोया हुआ हो, तो क्या होता है?:-
जब एक नवजात शिशु सोता है उसकी नींद दो तरह मे परिवर्तित होती है। इसे आम भाषा मे कच्ची नींद और गहरी नींद से जानते है। वैज्ञानिक भाषा मे कच्ची नींद को रैपिड आई मूवमेंट स्लीप या आर.ई.एम. और गहरी नींद को नॉन-रैपिड आई मूवमेंट स्लीप या एन.आर.ई.एम. के नाम से जानते है।
एक नवजात शिशु की पूरी नींद 50 मिनट की होती है। जिसमे 20 से 25 मिनट कच्ची नींद जिस समय अगर शिशु तुरंत सोया हो। अगर किसी प्रकार का शोर या ध्वनि शिशु को दुबारा जाग सकता है। और 20 से 25 मिनट के बाद जब गहरी नींद मे होता है, तो शिशु जल्दी किसी भी प्रकार के ध्वनि पर नही उठता।
इसलिए जब नवजात शिशु सो रहा हो तो किसी प्रकार के शोर के लिए मना किया जाता है। और शिशु के सोने वाले कमरे को शांत रखा जाता है।
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नए माता पिता को चिंता होती है और यह जानने की उत्सुकता होना भी स्वाभाविक है कि उनके नवजात शिशु को पर्याप्त नींद मिल भी रही है या नहीं।
ध्यान रहे आपके लाडले नवजात शिशु को यहां दिए गए चार्ट के घंटों से कम या ज्यादा नींद ले सकता है।
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नवजात शिशु के जन्म के बाद :-
नवजात शिशु जब तीन महीने का हो तब :-
नोट: आपको हमेशा याद रखना चाहिए कि हर एक शिशु अलग है। इसलिए आपको दुसरे शिशु के अनुसार उनके आदतों को अपने नवजात शिशु पर आपनाने के बदले आप अपने नवजात शिशु के आदतों को समझे।
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नवजात शिशु जब एक साल का हो तब:-
- जब नवजात शिशु 9 महीने से लेकर 12 महीने का होने लगता है तब आपका नवजात शिशु पुरी रात नींद लेने लगता है और सीधे सुबह ही उठता है। हलांकि ये नियम सभी नवजात शिशु के लिए नही है। क्योंकि यह भी संभव कि कुछ नवजात शिशु को भुख जल्द लगती हो या शिशु ने डायपर गीला किया हो। मगर आपको नवजात शिशु के एक साल होने तक नवजात शिशु की हर गतिविधियाँ समझ जाऐंगे। आपको अपने नवजात शिशु के नींद के बारे में दुसरों से ज्यादा पता होगा।
- हो सकता है आपका नवजात शिशु एक बार रात में पुरी नींद पुरी करने के कुछ दिन बाद कभी कभार फिर से रात को जाग सकता है। या फिर आपका नवजात शिशु दुबारा रात को बार बार उठना शुरु कर सकता है। यह कोई घबराने वाली बात नही है। यह 9 से 12 महीने के बीच होना आम है। मगर आपको किसी तरह का संदेह है तो आप अपने बाल रोग विशेषज्ञ से सम्पर्क जरुर करे।
- नवजात शिशु जब एक साल के करीब होता है। तब नवजात शिशु का विकास मे नयी चीजे जुड़ जाती है। और इस वजह से नवजात शिशु की नींद प्रभावित होती है। जैसे नवजात शिशु का दांत आना और घुटनों के सहारे चलना या घिसटना। इस तरह के कौशल नवजात शिशु में विकसित होने लगता है। इस स्थिति को सेपरेशन एंग्जायटी (Separation anxiety) के नाम से जाना जाता है।
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नवजात शिशु को सुलाने का सही समय:-
एक नवजात शिशु के सोने का सही समय शाम 7 बजे के बाद ही हो जाता है। माना जाता है रात्री 7 बजे से 9 बजे तक किसी भी व्यक्ति के सोने का सही समय होता है इससे सही समय पर सोने के बाद सुबह जल्दी उठने मे भी ताजगी महसूस होती है। अगर आपका नवजात शिशु शाम 7 बजे से 9 बजे के बीच सो जाता है, यह नवजात शिशु के सही विकास के लिए अच्छा होता है। मगर आज कल यह सम्भव नही हो पाता क्योंकि ज्यादातर माता पिता नौकरी करते है ऐसे में उन माता पिता को रात में अपने शिशु के साथ कुछ समय खेलकर सोना पसंद होता है और इस कारण आज कल के माता पिता जब सोते है उसी समय नवजात शिशु को सुलाना पसंद करते है। इस कारण कुछ जगह नवजात शिशु रात 11 बजे के बाद ही सोते है और सुबह जल्द उठ भी जाते है इससे नवजात शिशु की नींद अधुरी रह जाती है।
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नवजात शिशु के समय पर नही सोने का क्या कारण है:-
कैसे जाने कि नवजात शिशु की नींद पूरी हो रही है या नहीं :-
जैसे कि:-
- आपको सबसे पहले अपने नवजात शिशु के सोने के क्रम मे ही बदलाव नजर आने लगेगा। जब आपका नवजात शिशु रात्री समय से पहले थका महसूस करेगा और जल्द ही सामान्य समय पर सोने से काफी पहली ही सो जायेगा।
- आपका नवजात शिशु सुबह खुद से नही उठता है। और जब आप उसे उठागे तो बहुत ही थका महसूस करता है।
- आपका नवजात शिशु हमेशा सामाय से अधिक थका और चिड़चिड़ा या मूड ऑफ रहना।
- और भी कुछ कारण आपको दिख सकते है। जो संकेत देता है कि आपके नवजात शिशु को जरुरत से कम नींद मिल पा रही है। ऐसे में आप अपने नवजात शिशु को सही समय पर सुलाने के आदत को शामिल कर सकते है।
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कैसे अपने नवजात शिशु को सही समय पर सुलाने की आदत डाले:-
- आपको शाम 7 बजे से ही अपने नवजात शिशु को सोने की आदत लगा देनी चाहिए।
- आपको अपने नवजात शिशु को भरपूर नींद लेने में मदद करनी चाहिए।
- नवजात शिशु को सोने का सही समय पर खुद सो जाने या खुद नींद आ जाने की आदत को विकसित करनी चाहिए।
- नवजात शिशु को सोने से पहले नहलाना, मालिश करना, कपड़े बदलना जैसे सोने का समय हो गया है जैसे पूर्वानुमान विकसित कर सकते है।
- आप अपने नवजात शिशु को सुलाने के सही समय पर अपनी गोद मे लेकर सहलाना या लोरी गुनगुना सकते है।
- इस तरह के आदत को लगाने से आप अपने नवजात शिशु को एक अच्छी शरीरिक विकास मे मदद कर सकते है। अगर आप इस तरह से अपने नवजात शिशु मे समय पर खुद सो जाने की आदत डालते है, तो यह माता पिता के लिए उतना ही लाभदायक है। जितना आपके शिशु के लिए।
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नवजात शिशु की नींद को व्यवस्थित करना:-
- जब आपका नवजात शिशु तीन माह पूरा कर लेता है तब आपके नवजात शिशु के सोने का समय और क्रम में परिवर्तन होना शुरु हो जाता है। जैसे कि आपका नवजात शिशु रात में ज्यादा और लम्बे देर तक सोता है। ज्यादा या बार बार उठता नही है। दिन के बदले रात मे अधिक सोता है। दिन के समय खेलता है और कम सोता है। और दिन में खेलने के कारण रात के समय गहरी नींद में सोता है।
- जब आपका नवजात शिशु 6 माह का हो जाता है तब नवजात शिशु दिन में ना के बराबर ही सोते है। और रात के समय शिशु 11 घंटो तक सोता है। हलांकि रात में एक दो बार जाग सकता है। और दिन में आपका शिशु रात के तुलना में आधे देर ही सोता है।
- जब आपका नवजात शिशु 12 माह का हो जाता है तब आपका नवजात शिशु पूरे दिन और रात में यानि 24 घंटे में 12 से 15 घंटे ही सोता है। जिसमे दिन मे सिर्फ एक से दो बार सोता है। और रात में 11 घंटे से 12 घंटे तक सो सकता है।
- जब आपका नवजात शिशु 18 माह का हो जाता है तब आपके नवजात शिशु की दिन में सिर्फ एक बार ही सोता है।
नोट: आपके नवजात शिशु के सोने के तरीकों में व्यवस्थित करना आपके नवजात शिशु के आदतों मे से एक है। अगर आपका नवजात शिशु दिन के समय में ज्यादा सोता है तो यह उसके रात के नींद में परिवर्तित करता है। अगर आप चाहते है कि आपका नवजात शिशु रात में ज्यादा देर तक सोए तो आपके नवजात शिशु को दिन के समय कम समय तक सोए और ज्यादा से ज्यादा एक्टिविटी करे। जैसे कि आप अपने नवजात शिश के साथ खेल सकते है। हो सकत है। कि आप अपने नवजात शिशु को दिन के समय जगाना चाहते हो। मगर ऐसा करने से आपके शिशु के रात का नींद प्रभावित होता है। जिसके कारण आपका नवजात शिशु चिड़चिड़ा या थका हुआ महसूस करता है। आपको अपने नवजात शिशु के नींद को व्यवस्थित करने के लिए शिशु के जन्म के तीन महीनों के बाद ही करना चाहिए। या उचित हो तो अपने बाल रोग विशेषज्ञ से सलाह लेना अति आवश्यक समझे।
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ये 10 टिप्स आपको अपने नवजात शिशु को सुलाने मे मदद करेंगे।
अगर आपका नवजात शिशु पूरी रात सोता है। तो आप भी पूरी रात और दिन अच्छा और शांत महसूस करते है। इसलिए आपके नवजात शिशु के नींद और सोने के विषय मे बेबी केयर टिप्स।
1. निश्चित दिनचर्या सेट करें:-
आपको अपने नवजात शिशु को रोज एक निश्चित समय पर ही सुलाना चाहिए। चाहे दिन के समय या रात्री के समय हमेशा एक निश्चित समय पर ही अपने लाडले को सुलाये। जैसे कि रोज दिन के समय सुबह 12 बजे से पहले नहलाकर 1 बजे सुला दे। इसी प्रकार शाम 7 से 7:30 तक अपने शिशु को सुला दे।
2. नवजात शिशु को व्यस्त रखें:-
आपको अपने नवजात शिशु के विकास का पूरा ख्याल रखना चाहिए। ना सिर्फ शारिरीक बल्कि मानसिक विकास पर भी ध्यान देना चाहिए। आपको अपने नवजात शिशु के मनसिक विकास के लिए ज्ञानवर्धक खेल और भाषा ज्ञान सम्भंधित खेल को शामिल करना चाहिए। आपको अपने नवजात शिशु को चुनौतीपूर्ण गतिविधियों को पूरा करने के लिए देना चाहिए। शिशु के साथ नई नई खेल को खेलना चाहिए। जो कि उम्र के अनुसार होना चाहिए। इस तरह के खेल या गतिविधि शिशु के सोने के कुछ घंटे पहले करना चाहिए। जिससे आपका नवजात शिशु जल्द थक जाए और सो जाए।
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3. एक निश्चित जगह पर ही सुलाये:-
आपको अपने नवजात शिशु के सुलाने के निश्चित समय के साथ ही नवजात शिशु के बिस्तर या पालना को भी एक जैसा व्यवस्थित करे जिससे आपके नवजात शिशु को सोने के समय और नींद से उस जगह को जोड़ने मे मदद मिले। ध्यान रखे जिस जगह आप अपने नवजात शिशु को सुलाये उस जगह पर एक जैसा बिस्तर,एक जैसा पालना, एक जैसा मुलायम चादर और तकिया, कमरे की रौशनी भी एक ही समान रखे,अगर आप रोज अपने शिशु के लिए धीमे गाने चलाते है या खुद ही गाना गुनगुनाते है या लोरी गाते है तो आप इसे रोज शिशु के सोने के समय शामिल करे। जिससे शिशु को अपने सोने मे ज्यादा मेहनत ना करना पड़े।
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4. अगर मध्यरात्रि मे नवजात शिशु जाग जाए:-
अगर आपका नवजात शिशु रात मे जाग जाए तो आपको अपने नवजात शिशु को वापिस सुलाने के बारे सोंचना चाहिए। आपको जल्दी से पता करना चाहिए। कि आपका शिशु दुध पीने के लिए रो रहा है या शिशु ने डायपर गीला किया है।
5. नवजात शिशु से बाते करे :-
यह थोड़ा अटपटा लग सकता है कि कैसे अपने नवजात शिशु से बात करे। मगर आपका नवजात शिशु अपनी माँ को अच्छे से समझता है। एक नई माँ को यह अजीब लग सकता है। मगर हर माँ अकसर अपने नवजात शिशु के साथ बातों बातों मे खेलती है। शिशु के साथ गाना गाती है। और भी बहुत सारे गतिविधि करती है। इससे आपका नवजात शिशु आपको ज्यादा जानने लगता है।
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6. नवजात शिशु को सुलाने से पहले दुध पिलाये:-
नवजात शिशु रात मे अकसर भुखे होने के वजह से अर्धरात्री मे शिशु जाग जाता है। इसलिए नवजात शिशु को सुलाने से पहले दुध पीलाकर सुलाना चाहिए। जिससे शिशु लम्बे समय तक रात में सोया रहता है और शिशु की नींद भी पूरी होती है।
7. शिशु को सोने से पुर्व नहलाना:-
नवजात शिशु को नहला कर मालिश करने से शिशु को गहरी नींद आती है। और लम्बी देर तक सोता है। मगर नवजात शिशु को जन्म के बाद एक सप्ताह तकतक स्पंज स्नान और तीन महीनो तक सिर्फ सप्ताह में 2 से 3 बार ही नहलाना चाहिए। आपको अपनी बाल रोग विशेषज्ञ से अवश्य पुछना चाहिए कि आपको अपने नवजात शिशु को किस किस समय और एक दिन या एक सप्ताह मे कितनी बार नहलाना चाहिए। नवजात शिशु को कभी रात के समय नही नहलाना चाहिए। क्योंकि नवजात शिशु अभी नाजुक होता है। शिशु जल्द किसी तरह की बीमारी से ग्रसित हो सकता है। बिना डॉक्टर की सलाह के शिशु को किसी भी समय नही नहलाना चाहिए।
8. शिशु के कमरे को शांत रखे:-
नवजात शिशु को ज्यादा तेज ध्वानि पसंद नही होता है। हमेशा शिशु के कमरे को शांत रखना चाहिए। इससे शिशु विचलित हो सकता है। इसलिए नवजात का कमरा शांत होता है।
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9. नवजात शिशु के सोने के कपड़े:-
आरामदायक नींद के कपड़े और बिस्तर आपके बच्चे के लिए आवश्यक है। सुनिश्चित करें कि शिशु को इन कपड़ों में बहुत गर्मी या बहुत ठंड न लगे। रूई के कपड़ों का उपयोग करें और सोने के कपड़े अलग रखें।
नवजात शिशु को हमेशा मुलायम और सुती के कपड़े पहनाना चाहिए। आपको अपने नवजात शिशु के कपड़े का ख्याल खास कर रात मे रखना चाहिए। क्योकि अगर आपका नवजात शिशु को अपने कपड़े में आराम नही मिलेगा तो वह ठीक से सो भी नही पायेगा। और आपको शिशु के परेशानी का भी पता नही चलेगा। आपको शिशु के कपड़ो को ठीक से जाँचना चाहिए कि शिशु का कपड़े मे ना ज्यादा गर्मी ना ही ठंड महसूस हो और शिशु को आरामदायक कपड़े ही पहनाना चाहिए।
10. शिशु के लिए खिलौना:-
नवजात शिशु अकसर खेलते खेलते ही सो जाते है। और नवजात शिशु को अगर आप एक खिलौना दे दे तो वो उसे अपने सोने के क्रम मे संबंध जोड़ लेता है। जो कि शिशु को सोने मे मदद करती है। नवजात शिशु बहुत छोटा और नाजुक होता है। इसलिए नवजात के खिलौने भी मुलायम और बिना किसी नोक वाला हो। जिसके साथ अगर नवजात शिशु सो भी जाए तो उसे कोई परेशानी ना हो। नवजात शिशु का खिलौना चुनते वक्त ध्यान रखे कि वो सुरक्षित और मुलायम हो।
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