नवजात शिशु के जन्म के बाद पहला सप्ताह क्या है सबसे महत्वपुर्ण?

First Week After The Birth Of A Newborn – नवजात शिशु के जन्म के बाद पहला सप्ताह क्या है सबसे महत्वपुर्ण?

The Most Important First Week After The Birth Of A Newborn: नवजात शिशु की देखभाल के लिए जन्म के बाद का पहला सप्ताह बहुत ही महत्वपुर्ण होता है। क्योंकि एक नवजात शिशु जब जन्म लेता है तो एक नए माता-पिता के लिए जहाँ खुशियों भारा पल होता है वही, एक नवजात शिशु की जिम्मेदारी भी महत्वपुर्ण है।

क्योंकि नवजात शिशु जन्म के बाद बहुत ही नाजुक होता है जिसका आपको खास ध्यान रखना होता है। नवजात शिशु के सिर से पैर तक खास ख्याल रखना होता है। अगर आप नवजात शिशु के शुरु के पहले सप्ताह खास ख्याल रखते है तो आपका शिशु ना सिर्फ स्वस्थ रहेगा बल्कि आप एक नये माता पिता होने के साथ आप एक अच्छे माता पिता के तरह जिम्मेदारी निभाना सीख जाते है।

आईए जानते है नवजात शिशु के पहले सप्ताह किस तरह की मुश्किलो का सामना करना पड़ता है।

First Week After The Birth Of A Newborn:

नवजात शिशु के जन्म के बाद पहला सप्ताह क्या है सबसे महत्वपुर्णएक नवजात शिशु को जन्म देना माँ के लिए एक बहुत ही खूबसूरत पल होता है। और नवजात शिशु के जन्म के बाद शिशु मे आए कुछ बदलाव माँ को थोड़ा सा चिंतित अवश्य कर देते हैं। अगर आप पहले भी माँ बन चुकी है तो भी यह लेख हर तरह माँ के लिए बहुत ही महत्वपुर्ण है।  नवजात शिशु के जन्म के बाद का पहला सप्ताह सभी के लिए जहाँ खुशी भरा होता है। वहीं माँ के लिए थोड़ी ज्यादा जिम्मेदारीयों से भारा रहने वाला होता है।
एक नवजात शिशु का पालन-पोषण करना कोई आसान काम नहीं और एक नए माता पिता के लिए जिम्मेदारियों के साथ सावधानी पुर्ण भी होने वाला होता है। 

अपने नवजात शिशु को स्तनपान करना:

  • नवजात शिशु का जन्म के तुरंत बाद ही स्तनपान कराना का एक बाल चिकित्सक जरुर सलाह देते है मगर हॉस्पिटल मे यह एक संक्रमक भी हो सकता है। हो सके तो आप अपने नवजात शिशु को दुध पिलाने से पहले अपने हाथ को अच्छी तरह से धो ले।
  • डॉक्टर कहते है। अपने नवजात शिशु को जन्म के बाद स्तनपान करवाना बहुत सारे रोगो से लड़ने मे शिशु को माँ का दुध मदद करता है। जन्म के बाद नवजात शिशु को हर घंटे दुध पिलाना अति आवश्यक होता है। हलांकि कुच नवजात शिशु को 1 से 2 घंटो मे दुध पिलाने की आवश्यकता पड़ती है। एक बार आपका शिशु स्तनपान करने के बाद आपको स्तनपान करवाने मे ज्यादा परेशानी नही आने वाली है। आप बहुत जल्द सीख जायेंगे कि आपको अपने नवजात शिशु को कैसे स्तनपान करवाना है।
  • एक नयी माँ को अपने शिशु के साथ पहले सप्ताह कई तरह के समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि यह हर नए माँ के जीवन में पहली बार आया शारीरिक बदलाव और एक नया तजुर्बा होता है। हलांकि आपको नवजात शिशु के जन्म के बाद पहले सप्ताह में तो बहुत दिक्कत महसूस होती ही है। क्योंकि आपको शायद पता ना हो आपका शिशु आपके अनुमान ज्यादा भूख महसूस करने लगता है। और एक तुरंत जन्मे नवजात शिशु के लिए स्वाभाविक भी है।
  • अगर आप अपने नवजात शिशु को स्तनपान के बजाए फ़ॉर्मूला दे रही है जैसे कि नयी माँ को जल्द दुध आने में समय लगता है। तो नयी माँ कोई फ़ॉर्मूला का इस्तेमाल करती है जैसे गाय का दुध आदि। ऐसे मे आपको खास ख्याल रखना चाहिए कि आपको कब-कब अपने नवजात शिशु को दुध देना है। क्योंकि माँ का दुध नवजात शिशु जल्द हज़म कर लेता है। और एक फ़ॉर्मूला को नवजात शिशु को पचाने में समय लगता है।

नवजात शिशु को अच्छी तरह से लपेटना है जरुरी:

नए माता पिता के लिए लपेटना शब्द शायद जरुरी नही समझते हो। मगर एक नवजात शिशु तुरंत गर्भ से बाहर आया है। बाहर का वातावरण अभी नवजात शिशु के लिए नया है। गर्भ के अंदर नवजात शिशु बहुत ही सुरक्षित होता है और नवजात शिशु जन्म लेता है शिशु का शरीर बहुत नाजुक होता है।
जिसका खास ख्याल रखना जरुरी है। अगर आप अपने नवजात शिशु को अच्छी तरह से लपेटेगे और शिशु को गर्भ की तरह सुरक्षित महसूस करायेंगे तो शिशु ज्यादा आराम और सुरक्षित महसूस करेगा। और अच्छी नींद भी लेगा।
The Most Important First Week After The Birth Of A Newborn
The Most Important First Week After The Birth Of A Newborn
याद रखे: कुछ नवजात शिशु को ज्यादा टाईट लपेटना ठीक महसूस नही लगता। तो आपको चाहिए कि अपने शिशु को आरामदायक और सुरक्षित महसूस कराये।

नवजात शिशु के गर्भनाल की देखभाल:

नवजात शिशु की गर्भनाल जिसे नाभी ढुंड से भी जानते है। नवजात शिशु के गर्भनाल की खास ख्याल रखना अति-आवश्यक है क्योंकि गर्भनाल नवजात शिशु की जन्म के बाद की सबसे नाजुक होती और संक्रमण से बचाने की जरुरत होती है। हलांकि गर्भनाल नवजात के जन्म के एक सप्ताह के बाद हट जाता है। मगर अगर गर्भनाल में संक्रमण हो जाए तो नवजात शिशु के लिए एक बहुत बड़ी परेशानी का संकेत है। इसलिए डॉक्टर भी नवजात शिशु को एक सप्ताह स्पंज स्नान देने को कहते है।
नवजात शिशु के गर्भनाल को पानी से बचाना चाहिए और ऐसी हर तरह के संक्रमण से बचाना चाहिए। जिससे नवजात शिशु के गर्भनाल को संक्रमण हो सकता है। अगर आपको पता नहीं है। कि नवजात शिशु के गर्भनाल के बारे मे हर एक जानकारी बाल रोज चिकित्सक से जरुर ले।
ध्यान रखें :-
  • प्रसव या डिलीवरी के बाद अपने नवजात शिशु की गतिविधियों पर भी  ध्यान देने की आवश्यकता है। जैसे कि नवजात शिशु के जन्म के बाद के पहले 24 घंटे में आपका नवजात शिशु 6-7 बार यूरिन करे। और शुरुवाती 10 दिन या बाद शिशु का वजन 200-400 ग्राम हो। 
  • नवजात शिशु के गर्भनाल पर बंधी क्लिप 7 से 10 दिन में खुद हट जाए या सुख के गिर जाए। अगर आपके नवजात शिशु के गर्भनाल पर सूजन, लालिमा, फुंसी-फोड़ा हो या पस या पदार्थ निकले, तो आपको तुरंत अपने बाल रोग चिकित्सक या डॉक्टर को इसके बारे में बताना चाहिए या सलाह लेंना चाहिए।

नवजात शिशु के साँसों पर ध्यान दे:

नवजात शिशु के जन्म के जन्म के बाद ना सिर्फ आपके लिए अपने अवजात शिशु के गतिविधि को समझना जरुरी है बल्कि नवजात शिशु के शरीर इस नये वातावरण मे ढलने का प्रयास करा रहे है। नवजात शिशु के फेफड़े सांस लेने के तरीकों को समझ रहें होते है और नवजात शिशु गर्भ से निकलने के बाद साँस लेने के नई प्रतिक्रिया को समझ रहे होते है।
अगर आपको अपने नवजात शिशु के साँस लेने मे कोई भी तरह की परेशानी का समना करना दिखाई दे, तो आपको अपने नवजात शिशु के लिए कोई लापरवाही नही करनी चाहिए। आपको अपने बाल रोग चिकित्सक से हर बात की जानकारी लेनी चाहिए।

नवजात शिशु की नींद:

  • एक नवजात शिशु जन्म के बाद तीन महीनो तक 16 से 20 घंटे नींद लेता है। नवजात शिशु को नींद की जरुरत होती है क्योंकि अगर आपका नवजात शिशु ठीक से नही सोएगा तो आपका नवजात शिशु चिड़चिड़ा हो जाता है शिशु ज्यादा रोने लगेगा। आपको अपने नवजात शिशु के सोने के लिए आरामदायक बिस्तर और पुरी नींद की जरुरत होती है।
  • नवजात शिशु को कभी अकेला ना छोड़े क्योंकि नवजात शिशु अभी बहुत छोटा होने के साथ अभी उसे आपकी मौजूदगी की जरुरत है। हो सके तो माँ को शिशु को सोते समय साथ मे सोना चाहिए। जिससे नवजात शिशु को सुरक्षित महसूस होता है।
  • शुरुआत मे एक सप्ताह यह मुश्किल भरा होने वाला है मगर धीरे-धीरे आपको इसकी आदत हो जाती है।
  • हर माँ के लिए पहला सप्ताह बल्कि चुनौती भरे हो सकते हैं। आपको ज्यादा परेशानी नही होगी क्योंकि यह थोड़ा सा मुश्किल दौर बहुत जल्दी ही निकल जाएगा।

नवजात शिशु के शौच का ख्याल:

नवजात शिशु का शरीर अभी बाहरी वातावरण के अनुकूल धीरे-धीरे खुद ढल जाता है। इसमें समय लगना स्वाभाविक ही होता है। नवजात शिशु शुरूआती कुछ दिनों में कई बार शौच करता है। चौथे दिन तक आपको अपने नवजात शिशु के लिए कम से कम 8 से 10 डायपर शौच के लिए काम पड़ सकते है। और शिशु के लिए ज़्यादा डायपर का स्टॉक रखे क्योंकि शिशु पेशाब के, शौच के लिए बहुत बार जरुरत पड़ सकती है।  
एक नवजात शिशु दिनभर मे 10 से ज्यादा बार भी शौच करता है। यह कोई चिंता का विषय नहीं है। इसका ध्यान रखें अगर डायपर में खून आए तो तुरंत बाल रोग चिकित्सक से सम्पर्क करे। नवजात शिशु चार महीने होने के बाद नवजात शिशु की शौच दिन में सिर्फ़ 2 बार हो जाती है। कई बार तो एक बार से अधिक नही करती है।
जरूरी नोट:- अगर आपका नवजात शिशु पाँच दिन तक शौच ना करे तो, आपको अपने शिशु रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए।

इन बातों का भी ध्यान रखें (First Week After The Birth Of A Newborn):

  1. नवजात शिशु को गोद में लेने से पहले हाथ साबुन से अच्छी तरह धो ले।
  2. अपने नवजात शिशु को गोद लेते समय शिशु के गर्दन-सिर को हाथ से सपोर्ट दें।  
  3. अपने शिशु विशेषज्ञ से बात करने मे कभी देरी नही करनी चाहिए। यह एक सामान्य बात है कि नए माता पिता को नवजात शिशु की देखभाल के लिए हमेशा बाल रोग चिकित्सक से तालमेल बना के रखना चाहिए। जैसे-जैसे आपका नवजात शिशु बाहरी वातावरण के अनुकूल होगा। आपकी चिंता कम होती जाएगी। और आप एक अच्छे माता पिता की तरह अपनी बच्चे की देखभाल करना सीख जाएंगे। 
  4. नवजात शिशु का गर्भनाल बहुत ही काला लग सकता है। यह तीन सप्ताह के भीतर गिर जाएगा। तब तक, इसे साफ रखें (इसके नीचे से डायपर को फोल्ड करें) और सिर्फ शिशु को नहाने के बजाए गीले कपड़े से पोंछ दे (बेबी स्पॉन्ज बाथ तब तक ही दें जब तक कि गर्भनाल गिर न जाए)।
  5. शुरुआत में, नवजात शिशु की पहली शौच काले या हरे रंग की होगी। इसका कारण है। आम्नियोटिक फ्लूईड, कोशिकाए, म्यूकस। जो नवजात शिशु आपनी माँ के गर्भ में निगलता है। और जन्म लेने के बाद, शिशु को इन सब चीज़ों को अपने शरीर से बाहर निकालता है। आमतौर पर शौच काले रंग के रूप में होते हैं। इसके काले रंग का होना एक अच्छा संकेत भी है। उसके बाद आपके नवजात शिशु के शौच का रंग बदलता जाएगा है। हरे से काले रंग की उसके बाद सरसों की तरह के पीले रंग की और कस्टर्ड जैसे रंग की तरह हो सकती है। यह जैसा भी हो सकता है, यह सब सामान्य है। एक प्रारंभिक स्तनपान बोनस: शिशु का शौच आमतौर पर बिल्कुल नहीं बदबू करता है। 
  6. नवजात शिशु को नहलाना एक चुनौती हो सकती है।  अपने नवजात शिशु को सप्ताह में केवल एक या दो बार पूर्ण स्नान की आवश्यकता होती है, लेकिन उसे हर दिन “पहला सप्ताह” सिर्फ हल्का हल्का शिशु को पोंछ दे। इसका मतलब है बच्चे का सिर, चेहरा और नीचे पोंछना है जिसमे आपको नवजात शिशु की गर्भनाल का खास ख्याल रखना है।

The Most Important Tips For First Week After The Birth Of A Newborn:

  1. सुनिश्चित करें, कि नवजात शिशु को नहाने से पहले शिशु का पेट भरा हो। (लेकिन स्नान से ठीक पहले नहीं), और नहाने के बाद कमरा गर्म हो। और आपके पास सब कुछ तैयार हो। जैसे डायपर,तौलिया, पॉउडर,लोशन आदि। (आप अपने नवजात शिशु को नैनोसेकंड के लिए भी अकेला नहीं छोड़ सकते)।
  2. नवजात शिशु की दिनचर्या को बनाने मे शिशु को आदत लगाए। हर दिन लगभग एक ही तय समय में स्नान, पोशाक, खेल और टहलने और दुध पिलाने का समय तय कर दे। अपने नवजात शिशु को समय पर पालना में रखें। इस तरह वह अपने आप सो जाना सीखता है। और पालना को सोते समय के साथ जोड़ता है।
  3. रात में आप अपने नवजात शिशु को इतना सुरक्षित रूप से लपेटे कि, रात मे पालने मे सो जाने मे शिशु को कोई परेशानी ना हो, जिससे शिशु सामान्य अवधि के दौरान तक पुरी नींद लेगा।
  4. जब भी आपका नवजात शिशु रोता है, तो तुरंत शिशु के पास जाएं। ताकि शिशु समझ सके कि वह हर वक़्त अपनी माँ या पिता के पास सुरक्षित महसूस करे। 
  5. नवजात शिशु अक्सर चार घंटे तक सोते हैं। और दिन में कुल 16 घंटे या उससे अधिक। नवजात शिशु के सोते समय घर में शांती होनी चाहिए। 

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