नवजात शिशु की नींद से जुड़ी महत्वपुर्ण टिप्स । बेबी केयर टिप्स
➤ आईए जानते है विशेषज्ञ क्या कहते है।
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ठीक उसी प्रकार नवजात शिशु में यही क्रम नियमित होने में समय लगता है। जिसके कारण एक नवजात शिशु जन्म के बाद अनियमित नींद लेता है। और एक नवजात शिशु के जीवन काल में यह नियम को अपनाने में या इस नियम के नियमित होने में में लगभग 6 सप्ताह लग सकते है। और जब एक नवजात शिशु यह नियम को अपना लेते है तब नियमित सोने या जागने का क्रम बन जाता है।
एक नवजात शिशु की नींद को समझे:-
आप सभी नये माता-पिता को अपने बच्चे की नींद को समझना आना चाहिए। नींद को समझने के लिए आपको समझना होगा कि आपके शिशु की सोने का समय क्या है या आपको ध्यान देना चाहिए कि आपका शिशु कब सोता है है या किस समय पर उसे सोना पसंद है।
ज्यादातर नये माता पिता को अपने नवजात की नींद के बारे मे ज्यादा पता नही होता इसलिए इस लेख को उन माता पिता को ध्यान में रख कर टिप्स बताये गये है।
सामान्यतः एक नवजात शिशु की नींद दो प्रकार के होते है।
- सक्रिय नींद (Rapid Eye Movement)
- गहरी नींद (Non-Rapid Eye Movement)
सक्रिय नींद (Rapid Eye Movement):-
सक्रिय नींद जिसे कच्ची नींद से आप समझ सकते है, जिसे वैज्ञानिक भाषा में रेपिड आई मूवमेंट के नाम से जानते है। इस अवस्था में एक नवजात शिशु सोने के बाद शुरु के 20 से 25 मिनट सक्रिय नींद में होता है। जो कि एक कच्ची नींद होता है। एक नवजात शिशु जब कच्ची नींद में होता है तब वह मुसकराएगा, हिलता-डुलता या करवटे बदलता है। शिशु की सांसें इस अवस्था में अनियमित रहती हैं, शिशु की मुट्ठि कसी हो सकती है। और देखा गया है कि इस अवस्था में जब एक नवजात शिशु कच्ची नींद में होता है और किसी तरह की शोर होने से या किसी अन्य कारण से अगर नवजात शिशु फिर से जाग जाता है, तो नवजात शिशु रोने लगता है।
गहरी नींद ( Non-Rapid Eye Movement):-
गहरी नींद से आप समझ ही गये होंगे, कि जब एक शिशु के सोने के बाद आप अपना अन्य काम को खत्म कर सकते है। और शिशु आपको परेशान नही करेगा, या वो गहरी नींद मे सो रहा है। गहरी नींद को वैज्ञानिक भाषा में नोन रेपिड आई मूवमेंट के नाम से जानते है। इस अवस्था में एक नवजात शिशु सोने के बाद शुरु के 20 से 25 मिनट सक्रिय नींद में होने के बाद नवजात शिशु गहरी नींद मे चला जाता है। शिशु की एक पुरी नींद 50 मिनट की होती है। 25 मिनट कच्ची नींद और उसके बाद शिशु गहरी नींद मे चला जाता है। इस दौरान नवजात शिशु का शरीर बिलकुल स्थिर हो जाता है। श्वास की गति नियमित रहती है। मांसपेशियां ढीली होती हैं और शिशु की मुट्ठियां खुल जाती हैं। इसलिए जब नवजात शिशु सो रहा हो या सोने की तैयारी करने जा रहे हो तब ध्यान रखिये कि शिशु के सो जाने के बाद 20-25 मिनट तक घर में शांति का माहौल बनाये रखे।
आईए जानते है नवजात शिशु को सुलाने के लिए जरुरी टिप्स:-
- बाल रोग चिकित्सक अनुसार नवजात के लिए 16-18 घंटे की नींद जरूरी होती है।
- अगर नवजात शिशु की नींद पूरी न हो तो शिशु अगले दिन चिड़चिड़े हो जाते हैं।
- आपके नवजात शिशु के लिए भरपूर नींद लेना बहुत आवश्यक है।
- अक्सर नवजात शिशु रात को उठ जाते हैं और रोने लगते हैं।
- नवजात शिशु के ठीक से ना सो पाने के बहुत कारण हो सकते है।
- अगर आपका नवजात शिशु रात मे आराम से सोता नही है और सोने के बाद बीच मे उठ कर रोता है तो इसका कारण है आपके नवजात शिशु बीमार हो सकता है या कुछ तकलीफ है।
- अगर आपकी शिशु की किसी तरह की नींद की परेशानी हो या सेहत ठीक ना हो तो आपको तुरंत बाल रोग विशेषज्ञ या डॉक्टर से सलाह ले।
- नवजात शिशु के जन्म के बाद शिशु को जल्द ही भुख लग जाती है। नवजात शिशु को हर दो घंटे पर भुख लग जाती है। यह स्वाभाविक है कि नवजात शिशु बार बार सोने के दौरान बीच-बीच में स्तनपान के लिए उठेगा।
अपने नवजात शिशु को झट से सुलाने का तरीका:-
- आप अपने नवजात शिशु को कभी भी जल्दबाजी में नही सुला सकते। क्योंकि नवजात शिशु अपनी माँ की परेशानी और जल्दबाजी को महसूस कर सकता है। एक नवजात शिशु को सुलाने की तैयारी करने से पहले आप को शांत और आराम से काम लेना होगा। आपकी चेहरो पर परेशानी या चिंता नही होनी चाहिए।
- कहते है एक नवजात शिशु अपनी माँ को अच्छी तरह से महसूस कर सकता है तो आपको अपने नवजात शिशु को सुलाते समय खुद भी शांत हो जाना है।
- आपको अपने नवजात शिशु को सुलाने की एक निश्चित समय तय कर लेना चाहिए। एक नवजात शिशु दिन और रात दोनो समय सोता है तो आपको एक निश्चित समय पर शिशु को सुलाने की आदत डालनी चाहिए। जिससे आपका नवजात शिशु उसी समय पर खुद सो जाएगा। और इस आदत डालने के लिए हो सकता है की शुरुआती में आपको थोड़ी मेहनत भी करनी पड़ सकती है।
- आपने जिस समय आपने शिशु को सुलाने का तय किया है। अगर आपका नवजात शिशु उस समय नही सोता है। तो आपका नवजात शिशु चिड़चिड़ा हो जाता हैं। और परेशान हो सकता हैं।
- रात में जब नवजात शिशु को सुलाने के लिए जा रहे हो तो आप धीरे-धीरे कोई मीठा सा गाना गुन-गुना सकते है। यह एक प्रमाणित तरीका है और ये तरीका सदियो चलता आ रहा है। सालों पहले माँ अपने नवजात को सुलाने के लिए लोरियां सुनाया करती थी।
- अपने नवजात शिशु को सुलाने से पहले सुनिश्चित करे कि नवजात शिशु का बिस्तर या पलना या साफ हो। आपको अपनी शिशु के लिए रोज नई चादर बदलना चाहिए और बिस्तर की आरामदायक और कोमल और सुरक्षित रखे।
- नवजात शिशु को दिन के समय आप अपने नवजात शिशु को नहलाने के बाद सुलाये हो सके, तो शिशु के शरीर की मालिश जरुर करे। जिससे शिशु को गहरी नींद आए।
- दिन के समय अपने नवजात शिशु को सुलाते समय सीधे सुर्य की रोशनी मे नही रहने दे। हमेशा कोशिश करे की आपका शिशु छाया मे रहे।
- आप अपनी नवजात शिशु को रोज एक ही समय पर सुलाने के साथ-साथ आपको रोज सोने का तरीका को दोहराना चाहिए। जिससे यह आपकी नवजात शिशु की रोज की आदतों मे सामिल हो जाए। और आपको रोज ज्यादा मेहनत ना करनी पड़े और आपका नवजात शिशु गहरी नींद में सो जाए।
नवजात शिशु की अच्छी नींद लाने के लिए टिप्स:-
नवजात शिशु को सुलाने का निश्चित दिनचर्या बनाएं।:-
अगर आप चाहते हैं कि नवजात शिशु गहरी नींद ले। तो आपको एक निश्चित दिनचर्या बनानी चाहिए। अपने नवजात शिशु को एक खास समय पर सोने की आदत लगाये। जिससे धीरे-धीरे आपका शिशु खुद ही उसी समय पर सो जायेगा।
अपने नवजात शिशु को खुद भी सोने की आदत लगाए:-
आप अपने नवजात शिशु को उसी समय मे उसे बिस्तर पर पीठ के बल लिटा दें। जिस समय पर आप अपने नवजात शिशु को रोज सुलाया करते है। और आप गाना गुन गुना कर शिशु को खुद सुलाने की आदत डाले। धीरे-धीरे आपके नवजात शिशु को खुद नींद आने लगेगी।
शिशु की कमरे की रोशनी कम कर दे:-
आपको अपने नवजात शिशु को सुलाते समय या सोने के बाद भी कमरे की रोशनी कम पर रखनी है। जिससे कमरे मे हल्का अंधेरा हो सकेगा। एक शोध मे पाया गया अंधेरा या कम रोशनी नींद से जुड़े हार्मोन मेलाटोनिन को बढ़ाता है। जिससे कम रोशनी पर बच्चा जल्दी और देर तक सोएगा। याद रखे कमरे की रोशनी कम करनी है। अंधेरे से आपका नवजात शिशु को डर लग सकता है।
नवजात शिशु के सोते समय शांत माहौल जरूरी :-
जैसा कि उपर बताया गया है कि नवजात शिशु की 20 से 25 मिनट की नींद बहुत कच्ची होती है। नवजात शिशु हल्कि सी आवाज में उठ सकता है और रोने लग सकता है। ध्यान रहे कि नवजात शिशु को सुलाते समय घर में शांत माहौल बना रहे।
नवजात शिशु को डायपर लगाकर सुलाएं :-
नवजात शिशु रात को सोने के बाद अक्सर बच्चा बिस्तर गिला कर देता है। और शिशु की नींद खराब हो जाती है। इसके लिए आपको रात को सोने से पहले नवजात शिशु को डायपर पहना देना चाहिए। जिससे आपका नवजात शिशु आराम से सो सके।
नवजात शिशु की मालिश:-
नवजात शिशु को दिन में भी सुलाना जरूरी होता है। नवजात शिशु को जन्म के बाद 16 से 18 घंटे सोने की जरुरत होती है। जिसके लिए शिशु को दिन में भी सुलाना चाहिए। आपको नवजात शिशु को हल्के गुनगुने पानी से नहलाने या पोंछने के बाद शिशु की मालिश करेने के पश्चात अपने नवजात शिशु को सुला देनी चाहिए।
नवजात शिशु को सुलाने के लिए लोरी या गाना सुनाएं :-
नवजात शिशु को जल्द सुलाने के लिए आपको लोरी सुनानी चाहिए। अगर आपको लोरी नही आती तो आपको गाना गुन गुनना चाहिए। नवजात शिशु को सोते समय लोरी और गाना पसंद आता है।
नवजात शिशु को सोने से पहले पेट भरा हो :-
नवजात शिशु को सुलाते समय आपको सुनिश्चित करना चाहिए कि आपका नवजात शिशु भुखा ना हो। ज्यादातर देखा गया है कि नवजात शिशु को भूख लगने पर या शिशु का खाली होने पर रात को सोते हुए भी आपको रो रो कर संकेत देते है।
अपने नवजात शिशु से लिपट कर न सोएं :-
नवजात शिशु अक्सर अपने माँ को लपेट कर या माँ हमेशा अपने नवजात शिशु से लपेट कर सोती है। ऐसे करने से आपके शिशु को आपकी आदत लग जाती है। और फिर आपका शिशु आपके बिना नही सोयेगा। हमेशा सोते समय आपको खोजेगा। और जन्म के बाद नवजात शिशु को सीधा सुलाना चाहिए। और पुरा फैल से सुलाना चाहिए। क्योंकि जन्म के बाद नवजात शिशु का नाभी/ गर्भनाल का घाव सुखा नही होता। आपके लिपट के सोने से आप अपने नवजात शिशु को चोट पहुँचा सकते है। इसलिए आप अपने नवजात शिशु को अपने से लिपटाकर न सुलाएं।
आप आपना कीमती सुझाव दे। आपका एक सुझाव हमारे महत्वपुर्ण है। तो कृपया कमेंट जरुर करें, और इस लेख की जानकारी को अन्य माता पिता के साथ शेयर करें।
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