बच्चों को पॉटी ट्रेनिंग (शौच प्रशिक्षण) देने से कौन से फायदे और नुकसान होते हैं?



बच्चों को पॉटी ट्रेनिंग (शौच प्रशिक्षण) देने से कौन से फायदे और नुकसान होते हैं?

इस लेख में : 

बच्चों को पॉटी ट्रेनिंग देने क्या फायदे होते हैं।
बच्चों को पॉटी ट्रेनिंग देने क्या नुकसान होते हैं।



बच्चों को पॉटी ट्रेनिंग देना बच्चें के लिए एक विकासात्मक चरण हैं, जिससे आपका बच्चा खुद से पॉटी करना, पॉटी आने के संकेत को समझना, और आपका बच्चा आत्मनिर्भर बनता हैं। जब आपका बच्चा खुद पॉटी करना या पॉटी आने के संकेत को समझ जाता हैं, तो आपको किसी भी सार्वजनिक जगह या किसी संबंधी के यहाँ जाने  पर आपको अपने बच्चे के मल मूत्र त्याग करने की परेशानी नहीं होती हैं।

बच्चे के शौच प्रशिक्षण के बारे में कोइ वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं। लेकिन बच्चे को शौच प्रशिक्षण देना ना सिर्फ बच्चे के लिए फायदेमंद होता हैं, बल्कि इससे माता पिता को भी फायदा होता हैं।

बाल रोग विशेषज्ञ के अनुसार बच्चे को शौच प्रशिक्षण 18 से 24 महीने में शुरु कर सकतें हैं, जिसमें आप अपने बच्चें को मल मूत्र आने के बारे होने वाले संकेत और अगर बच्चे को मल मूत्र आती हैं, तो वो आपको बता देता हैं, जिससे बच्चे को ज्यादा डायपर का इस्तेमाल करने खर्च कम हो जाता हैं। साथ ही माँ को बच्चे के सभी जगह अचानक पॉटी कर देने के कारण साफ सफाई का चिंता कम हो जाती हैं।

आइए विस्तार से जानते हैं, कि बच्चे को शौच प्रशिक्षण देने से बच्चे और माता पिता दोनों को क्या क्या फायदे और नुकसान होते हैं? इस जानकारी से आपको यह निर्णय करने में आसानी होगी, कि आपकों अपने बच्चे को पॉटी ट्रेनिंग देना चाहिए, या नहीं।

बच्चों को पॉटी ट्रेनिंग देने क्या फायदे होते हैं।


➤ बच्चा जब 18 महिनें का हो जाता हैं, तब बच्चे में मल मूत्र को रोकने की क्षमता विकसित हो जाती हैं, तथा इस दौरान बच्चे को मल मूत्र के त्याग के लिए आए संकेत को समझने के लिर शौच प्रशिक्षण एक अहम भूमिका निभाता हैं।

 कुछ परिवारों में बच्चें को डायपर हमेशा इस्तेमाल किया जाता हैं, जिससें बच्चें को यह पता नहीं चलता कब बच्चे नें मल त्याग किया या मूत्र त्याग किया हैं। क्योंकि डायपर का इस्तेमाल बच्चे को सुखा रखने के लिए किया जाता हैं।

 एक नैपी का इस्तेमाल करने वाले और बच्चे डायपर का इस्तेमाल करने वाले बच्चे की तुलना में ज्यादा जल्दी समझ जाते हैं, कि उन्हे कब मल त्याग करना हैं, और कब मूत्र त्याग करना हैं।

 बच्चा जब खुद पॉटी चेयर या शीट पर बैठता हैं, और खुद को पॉटी और पेशाब को त्याग करते हुए देखता हैं। तो बच्चे में पॉटी एक गंदगी हैं, इसका अनुभव होता हैं। और वह खुद पॉटी आने और पेशाब आने पर आपको बताता हैं।

 जब आपका बच्चा पॉटी शीट पर एक बार पॉटी और पेशाब करना शुरु कर देता हैं, उसके बाद आपका बच्चा खुद कभी अपने पैंट में मल या मूत्र त्याग नहीं करता, क्योंकि बच्चे को यह समझना आसान हो जाता हैं, क्या अच्छी आदत हैं, और क्या गंदी आदत हैं।

 3 साल का होने तक आपका बच्चा खुद से शौचालय में नहीं बैठ पायेगा, क्योंकि 3 साअल के होने तक बच्चा का पैर इतना मजबूत नहीं होता।

 3 से 4 साल की उम्र में बच्चे की शरीरिक क्षमता इतनी हो जाती हैं, कि वह खुद शौचालय जा सके, मगर आपको इसमें भी अपने बच्चें के साथ रहना हैं, क्योंकि बच्चा कुछ भी खुद नहीं करेगा। आपको अपने बच्चे को सीखना जरुरी होगा।

 बच्चे को पॉटी ट्रेनिंग देने आपका डायपर का खर्च बच जाता हैं।

 आपका बच्चा मल मूत्र का त्याग ना तो नैपी में ना ही बिस्तर पर, ना ही पैंट में करता हैं।

 बच्चे को रात में पॉटी या पेशाब करने की आदत खत्म हो जाती हैं।

 आपका बच्चा चलने फिरने की उम्र में खुद पॉटी शीट पर मल मूत्र त्याग करना सीख जाता हैं, और खेलने और दौड़ने की उम्र में खुद शौचालय जाना सीख जाता हैं।

 आपका बच्चा प्रशिक्षित और आत्मनिर्भर बन जाता हैं।

 आप कहीं भी दुसरे संबंधी या सार्वजनिक स्थान पर अपने बच्चे के साथ बिना कोई चिंता के जा सकते हैं।

 विशेषज्ञ कहते हैं, आपका और अपके बच्चे के साथ बंधन और मजबूत हो जाता हैं। शौच प्रशिक्षण से बच्चे और माता पिता के बीच नजदीकीयाँ आती हैं।

पॉटी ट्रेनिंग या शौच प्रशिक्षण के और भी फायदे होते हैं, जिनके लिए अभी भी शोध हो रहे हैं।

बच्चों को पॉटी ट्रेनिंग देने क्या नुकसान होते हैं।

  1. आप जब अपने बच्चे को शौच प्रशिक्षण देंगे, तो आपको ज्यादा देखभाल करना पड़ेगा। साथ ही पॉटी ट्रेनिंग का मतलब यह नहीं कि आपका बच्चा खुद शौचालय चला जाये।
  2. आपका बच्चा इतना समझदार नहीं कि वह ज्यादा देर तक अपने मल मूत्र को रोक सके। आमतौर पर शुरुआत में आपका बच्चा नैपी शौचालय जाने तक अपनी नैपी गीला कर देता हैं।
  3. पॉटी ट्रेनिंग के दौरान बहुत ज्यादा ध्यान देना होता हैं, क्योंकि आपको बार बार अपने बच्चे से पूछना होगा, कि उनको पॉटी या पेशाब आया हैं, या नहीं। और बच्चे को बार बार ध्यन से पॉटी शीट पर बैठाना होगा।
  4. अगर आपके यहाँ कोई मेहमान या आप कहीं बाहर जाते हैं तो बच्चे की पॉटी ट्रेनिंग बाधित होगी, और आपका बच्चा पॉटी ट्रेनिंग में ज्यादा ध्यान नहीं लगायेगा। और आपको दुबारा शुरु से पॉटी ट्रेनिंग शुरु करनी होगी।
  5. बच्चे को पॉटी ट्रेनिंग थोड़ा गंदगी भरा हो सकता हैं, क्योंकि जब बच्चा डायपर में पॉटी करता हैं, तो आप उसके डायपर को ही फेंक देते हैं, मगर पॉटी ट्रेनिंग में आपको हर समय अपने बच्चे के पॉटी को साफ करने के लिए तैयार रहना पड़ेगा।
  6. कभी कभी आपका बच्चे के द्वारा अचानक अपने नैपी में ही मल मूत्रत्याग कर देने पर आपका काम बढ़ा देने वाला हैं, इसमें आपको ज्यादा पॉटी वाले कपड़े धोने पड़ेंगे।
  7. कभी कभी अचानक पॉटी कर देने पर, या अपको अपने बच्चे के मल मूत्र त्याग के लिए दिये गये संकेत नहीं समझने, शौचालय पहुँचने के दौतरान आपका बच्चा आपका साफ सफाई का काम बढ़ा देने वाला हैं।
  8. आपका बच्चा पॉटी ट्रेनिंग जल्दी नहीं सीख पाता।
  9. आपका बच्चा शारीरिक और मानसिक तौर पर पॉटी ट्रेनिंग के लिए तैयार ना हो।
  10. आपके बच्चे के पॉटी ट्रेनिंग बहुत दुर्लभ तब होता हैं, जब माता पिता दोनो नौकरीपेशा वाले हो, उन्हे अपने बच्चे के पॉटी ट्रेनिंग के लिए ज्यादा समय नहीं लगता हैं।

उम्मीद हैं, आपको अपने बच्चे के लिए पॉटी ट्रेनिंग की सारे फायदे और नुकसान के बारे में जान गये होंगे, आपको इस लेख में पॉटी ट्रेनिंग से जुड़ी और भी जानकारी, सलाह, और ध्यान रखने वाली बाते बतायी गयी। आपके मन में कुछ सवाल या इस लेख के संबंध कुछ जानकारी शेयर करनी हो, तो जरूर नीचे कॉमेंट करे।
आपको अगर पॉटी ट्रेनिंग के बारे में और भी कुछ जानना हैं, तो यहाँ पढ़े। 

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