इस लेख में :
- क्या नवजात शिशु के आँखों में काजल/सुरमा लगाना सुरक्षित हैं?
- नवजात शिशु को काजल लगाना क्यों सुरक्षित नहीं है?
- नवजात शिशुओं की आंखों में काजल लगाने के लिए कुछ अवधारणाएँ।
- क्या घर पर बनाया गया काजल या सुरमा सुरक्षित हैं?
- क्या बाजार से खरीदा गया काजल/सुरमा सुरक्षित हैं?
- नवजात शिशु के लिए काजल/सुरमा को लेकर अन्य विकल्प
- काजल/सुरमा को नवजात शिशु के आँखों में लगाने से संबंधित मिथक और सच्चाई
- निष्कर्ष
नवजात शिशु की आँखों में काजल लगाने का भारत देश में सदियों से प्रचलित पुरानी परंपरा हैं। आप अपने बचपन से देखते आ रहें हैं, कि हर नवजात शिशु को उनके माता पिता खूब काजल, या सूरमा लगाते हैं। और शायद आपको भी आपके माता पिता ने काजल या सूरमा का प्रयोग किया ही होगा। फिर मैंने क्यों यहाँ लिखा हैं, कि नवजात शिशु को आखों में ना तो सुरमा और ना ही काजल का प्रयोग करना चाहिए।
यह मैं नहीं कह रहा यह वैज्ञानिक और बाल रोग चिकित्सक कह रहे हैं। यदि आपको विशवास नहीं हो रहा, तो आप अभी इस लेख को पढ़ कर सारे प्रश्न अपने बाल रोग चिकित्सक से करे, और आपको विश्वास हो जायेगा, कि नवजात शिशु को काजल या सुरमा लगाने के लिए चिकित्सक मना कर रहे हैं।
यदि आपको पता नहीं, क्यों काजल या सूरमे का प्रयोग नवजात शिशु को नहीं करनी चाहिए, या नवजात शिशु को काजल या सुरमें लगाने से होने वाले नुकसान कौन कौन से हैं। और काजल और सुरमा में ऐसा कौन सी चीज हैं, कि अचानक सभी बाल रोग चिकित्सक और विशेषज्ञ अब काजल लगाने के खिलाफ शिफारिस करते हैं? तो आप बेबी केयर टिप्स की इस लेख को ध्यान पूर्वक पढ़े।
आइए जानते हैं, क्यों अब काजल या सुरमा लगाना नवजात शिशु के लिए ख़तरनाक होता हैं?
क्या नवजात शिशु के आँखों में काजल/सुरमा लगाना सुरक्षित हैं?
नवजात शिशु को काजल या सुरमा लगाना बिलकुल भी सुरक्षित नहीं हैं। वैज्ञानिक के द्वारा कई शोध हुए हैं, और यह शोध यह पुष्टि करते हैं, कि नवजात शिशु को काजल या सुरमा का प्रयोग शिशु के आँखों को नुकसान पहुँचाने का काम करती हैं।
भले हीं भारतीय परंपरा में काजल या सुरमा लगाना अच्छा बोला गया हों, मगर आपको अपने नवजात शिशु के आँखों की सुरक्षा के लिए काजल या सुरमें का उपयोग नहीं करनी चाहिए।
आपको यदि कोई भी दवाब हो, कि काजल लगाना ही होगा, तो आप अपने बाल रोग चिकित्सक से संपर्क करे।
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नवजात शिशु को काजल लगाना क्यों सुरक्षित नहीं है?
नवजात शिशु को काजल या सुरमा सुरक्षित ना होने के निम्न कारण हैं?
- रेडिमेड या बाजार में मिलने वाले काजल या सुरमा में लेड की मात्रा पाया जाता हैं। जिसके हानिकारक प्रभाव से नवजात शिशु को आँख, मस्तिष्क, और अन्य शरीरिक अंग को क्षति पहुँचती हैं।
- ज्यादातर माताएँ काजल का नवजात शिशु की आँखों में प्रयोग करने से पहले अपने हाथ को साफ से नहीं धोया करती हैं। जिससे शिशु की आँखों में संक्रमण फैलने का खतरा होता हैं।
- जब आप नवजात शिशु को नहलाती हैं, उस समय काजल धूलने लगता हैं, जो कि पानी के साथ मिश्रित होकर आँखों मे, आँखों में बनी नाक की छिद्र में जाने के कारण शिशु को नुकसान पहुँचाती हैं।
- लगातार काजल लगाने के बाद नवजात शिशु के आँखों में एलर्जी की संभावना होती हैं, आँखों में पानी गिरने का खतरा हो जाता हैं, शिशु के आँख खुजली करने लगते हैं। और यह नवजात शिशु की दृष्टि को कमजोर करती हैं।
नवजात शिशुओं की आंखों में काजल लगाने के लिए कुछ
अवधारणाएँ।
जैसा कि मैंने पहले भी बताया, कि भारतीय परिवारो में काजल या सुरमा के प्रति कई तरह के फायदों के बारे में बता देते हैं, जो कि पूरी तरह शिशु को नुकसान पहुँचाने वाला हैं। जैसे कि आँखों का चमकदार या आकर्षक दिखना, काजल या सुरमा लगाने से नजर ना लगना, धूप की सीधी किरणे आँखों पर ना पड़ना आदि और भी बहुत सारे अवधारणाएँ बताये जाते हैं।
लेकिन ऐसा कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं, और ना ही कोई भी बाल रोग विशेषज्ञ ऐसा मानते हैं। यदि शिशु को नजर से बचाने के लिए काजल का प्रयोग करना हो, तो आप माथे पर, गाल पर, या हाथ पैर में काजल लगा दे, इतना काफी हैं। या काजल के लगाने से आँखों का चमकदार दिखना, यह भी एक अवधारणाएँ हैं।
यदि आप भी ऐसा सोच रहे हैं, कि आपके शिशु को काजल या सुरमा लगाने से फायदा होने वाला हैं, तो आप अपने नवजात शिशु की आँखों को नुकसान पहुँचा रहें हैं, क्योंकि आज भारत में खास कर सबसे ज्यादा बच्चों के आँखे खराब हो जाते हैं, और विदेशों में तो कोई काजल का प्रयोग नहीं होता हैं। फिर भी बहाँ के बच्चों की आँखे जल्दी खराब नहीं होती।
हालांकि, कम रौशनी में पढ़ाई करने पर या मोबाइल या कंप्यूटर ज्यादा समय बिताना भी बच्चों के आँखों के खराब होने के कारण हैं।
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क्या घर पर बनाया गया काजल या सुरमा सुरक्षित हैं?
- घर में बनाया गया काजल/सुरमा भी शिशुओं के लिए नुकसान दायक ही होता हैं। क्योंकि आपको तो पता ही होगा जो काजल या सुरमा घर पर बनाया जाता हैं, वह कैसे बनता हैं।
- आप जब काजल घर पर बनाते हैं, तो एक दीया जलाते हैं, चाहे वह सरसों, बदाम, नारियल का तेल का दिया हो, उस दीया का रास को आप एक चम्मच के द्वारा जमा करते हैं। वह रास को घी या तेल के साथ मिला कर काजल बनाते हैं।
- जो कि पूरी तरह एक पतला कार्बन हैं। आप किसी कागज को जलाते हैं, तो वही कार्बन निकलता हैं,कोयले को भी जलाये तो उसी तरह एक कार्बन निकलता हैं। और आपने दीये के द्वारा कार्बन को इकट्ठा कर के बेबी की आँखों में लगाते हैं। और कार्बन बेबी की आँख के लिये सुरक्षित नही हैं।
- और आप जब इस तरह का कर्बन का इस्तेमाल करेंगे, तो हम सभी के आँखों में एक नाक से जुड़ी छिद्र होती हैं, वो बंद हो सकती हैं। फिर जब शिशु के आंसू बाहर ही रहेगी, नाक के अंदर तक नहीं जा पायेंगी। और इससे वहाँ शिशु के आँख के पास ज्यादा गंदगी जमी रहेगी, और संक्रमण की संभावना बढ़ जायेगी।
- इसलिए आपको घर पर बने काजल को भी शिशु के आँखों में नहीं लगाने चाहिए। और ऐसा कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं, कि आपका घर पर बना काजल आँखों के लिए सुरक्षित हो सकता हैं, क्योंकि एक कार्बन नुकसान जरूर पहुँचा सकता हैं, मगर फायदा नहीं।
क्या बाजार से खरीदा गया काजल/सुरमा सुरक्षित हैं?
बाजार में मिलने वाले, या रेडीमेड कोई भी काजल चाहे कितना ही ब्रांडेड ब्रांड का क्यो ना हो, बाजार से खरीदा गया काजल या सुरमा सबसे ज्यादा खतरनाक होता हैं।
वैज्ञानिक द्वारा किये गये अध्ययन में पाया गया बाजार से मिलने वाले सभी काजल में लेड की मात्रा पायी जाती हैं, जो कि एक मेटल होता हैं। लेड एक लैटिन नाम हैं, इसे आम भाषा में सीसा के नाम, से भी जाना जाता हैं।
लेड इतना खतरनाक होता हैं, कि एक बार आपने अपने शिशु पर इस्तेमाल किया, और उसके बाद यदि शिशु के द्वारा किसी भी तरह चंचलता या आंसू के कारण नाक या शरीर में चला जाये, तो इससे बहुत ही खतरनाक बीमारी नवजात शिशु को हो सकती हैं, जैसे कि सबसे पहले मस्तिष्क संबंधी बीमारी अस्थि मज्जा (Bone Marrow), एनीमिया, किडनी संबंधी बीमारी, हृदय संबंधी बीमारी, या इससे भी खतरनाक बीमारी जैसे कि रक्ताल्पता, ऐंठन और बौद्धिक क्षमता में कमी, या न्यूरोलॉजिकल डैमेज हो सकता हैं, जिससे शिशु कोमा में जा सकता हैं, या मौत भी हो सकती हैं।
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नवजात शिशु के लिए काजल/सुरमा को लेकर अन्य विकल्प
यदि आप अभी भी काजल लजाने की सोंच रहे हैं, और आप काजल के स्थान पर एक विकल्प खोज रहे, तो आपको इसके लिए अपने बाल रोग विशेषज्ञ से बात करने की जरुरत हैं, क्योंकि वैज्ञानिक के द्वारा ऐसा कोई भी विकल्प नही हैं, जो आप काजल या सुरमा के बदले इस्तेमाल कर सके।
लेकिन आपको घर से दवाब हो रहा हैं, तो आप निम्न कार्य कर सकते हैं।
- यदि आप अपने नवजात शिशु को बुरी नजर से बचाने के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो आप आँख को छोड़ कर शिशु के माथे पर एक छोटा सा टीका, गाल पर एक टीका, या पैर के नीचे एक टीका लगा सकते हैं। लेकिन आँखों में काजल नहीं लगाना हैं। बेबी केयर टिप्स काजल/सुरमा को आँखों मे लगाने के बिलकुल खिलाफ हैं।
- आप अपने नवजात शिशु को पूरा प्यार दीजिए, अच्छी तरह देखभाल कीजिए, स्तनपान जरूर कराये, यहीं आपके बेबी को सभी तरह से सुरक्षित भी रखेगा, और बाकि सभी आवधारनाएँ जैसे कि आख बड़ा दिखना, सुंदर लगना, नजर ना लगना सभी आपके द्वारा शिशु को प्यार करने और सहीं से देखभाल करने पर शिशु को मिल जायेगा, और यही आपके शिशु की सबसे बड़ी ताकत होगा।
काजल/सुरमा को नवजात शिशु के आँखों में लगाने से संबंधित
मिथक और सच्चाई
नवजात शिशु को काजल या सुरमा को लगाने को लेकर भारत में लगभग सभी घरों और परिवारो में कुछ मिथक या अफवाहे सुनने को मिलते हैं।
हालांकि, काजल/सुरमा के प्रयोग से शिशु की आँखों को नुकसान पहुँचनता हैं, लेकिन आज भी सभी जगह नवजात शिशु को काजल को लगाया जाता हैं।
आइए जानते हैं, कुछ इसी तरह के मिथक और इसके उत्तर जो आपने भी अवश्य सुना होगा।
1. काजल/सुरमा बेबी के आँखों को बड़ा और आकर्षित बनाता है?
ऐसा कोई प्रमाण नहीं हैं, यह नवजात शिशु के चेहरे के आकार, भौतिक विशेषता और माता पिता के पित्रैक (genes) पर निर्भर करता हैं।
2. काजल/सुरमा लगाने से नवजात शिशु को गहरी नींद में मदद करती है?
नवजात शिशु जन्म के बाद छह माह तक 18 से 19 घंटे सोता हैं। काजल या सुरमा लगाने से यदि लंबा सोता हैं, तो शायद 24 घंटे शिशु सोता होगा?
ऐसा कहना काजल या सुरमा लगाने के बाद लम्बी नींद आती हैं, तो आप इसे पहले व्यस्क पर प्रयोग करे, और देखे क्या व्यस्क को भी 18 से 19 घंटे की नींद आती हैं? 😂😃
नवजात शिशु ही खुद नाजुक होता हैं, यदि आप नवजात शिशु के आँखों पर कार्बन लगा कर और भी ज्यादा परेशान करेंगे, तो शिशु को उपर बताये किसी बीमारी में से किसी बीमारी का होना तय हैं।
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3. घर का बना काजल सुरक्षित है?
नही, घर का काजल एक कार्बन ही हैं, इससे आपके शिशु को नुकसान ही होगा।
बाल रोग विशेषज्ञ किसी भी प्रकार का काजल लगाने के खिलाफ शिफारिस करते हैं।
4. काजल बेबी को बुरी नजर से बचाता है?
यह एक गलत अवधारणाएँ हैं। यदि ऐसा हैं, तो आप नवजात शिशु की आँखों को क्यों नुकसान पहुँचा रहे हैं, ज्यादा से ज्यादा आप माथे या गाल पर एक टीका लगा दे।
यदि नजर लगने की बात हैं, तो आपने यह भी सुना होगा, नजर के लिए काला टीका कान के पीछे लगाया जाता हैं, फिर आँखों में क्यों?
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निष्कर्ष :
आपने इस लेख में यह जाना कि नवजात शिशु की आँखों में काजल/सुरमा क्यों नहीं लगाना चाहिए, और भारत में कई तरह की अवधारणाएँ हैं, मगर इसका कोई प्रमाण नहीं हैं, और साथ ही आपने यह भी जाना कि घर का बना हुआ काजल या सुरमा या बाहर दुकान से खरीदा हुआ काजल, दोनो काजल नवजात शिशु के आँखों के लिए खतरनाक होता हैं, इसलिए ना तो किसी को काजल लगाने की सलाह दे, और कोई काजल लगा रहा हैं, तो उसे समझाये, कि काजल बेबी के लिए कितना खतरनाक होता हैं।
यदि आप बेबी केयर की इस लेखसे संतुष्ट हैं, तो आप इस लेख को अन्य माता पिता के साथ जरूर शेयर करे, और अपने सुझाव या फीडबैक नीचे कॉमेंट करे।
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