इस लेख में:
Navajaat shishu ko bolana kaise sikhaen? :
नवजात शिशु जन्म के बाद से ही कुछ ना कुछ बोलना शुरु कर देते हैं। जैसे ही शिशु का जन्म होता हैं, डॉक्टर बेबी को जान बूझ कर रुलाने के लिए कुछ ना कुछ करते हैं। जिससे यह पता चलता हैं, कि शिशु बोल पायेगा, या नहीं।
चूँकि, जन्म के बाद शिशु ज्यादा रोते ही हैं। मगर यदि आप ध्यान देंगे, तो आपको आपके नवजात शिशु की बहुत सारी आवाजे सुनायी देगी, जैसे कि शिशु की हसना, आप जब शिशु के साथ खेलते हैं, तो उनका अपनी ही भाषा में कुछ चिल्लाना, या डाटना आदि।
और साथ ही शिशु के 12 महीने के बाद शिशु का पहला शब्द सुनने को मिलता हैं। सामान्यतः यह शब्द माँ, मम्मा, मामा, पापा या दादा आदि होते हैं।
सभी माता पिता अपनी बेबी के सबसे पहले शब्द सुनने के लिए बेसब्री से इंतजार करते रहते हैं। ऐसा माना जाता हैं, नवजात शिशु गर्भ से ही बहुत तरह की भाषा का ज्ञान ले चुका होता हैं। और जन्म से तीन साल की उम्र तक एक शिशु अपनी माता पिता के द्वारा बोले जाने वाले शब्दो को सिखता हैं, और बोलने की कोशिश करता हैं।
एक नवजात शिशु कितनी जल्दी बोलेंना शुरु करेंगे, यह शिशु के सही देखभाल और विकास पर निर्भर करता हैं। नवजात शिशु का विकास सही से होने पर शिशु की शारीरिक और मानसिक पर प्रभाव डालता हैं।
हर शिशु अलग अलग होते हैं, इसलिए जरुरी नहीं कि सभी बेबी एक ही समय और उम्र में बोलना सीखे। कुछ बेबी समय में पहले और कुछ बेबी बहुत देर में बोलने की क्षमता का विकास होता हैं।
आपका शिशु जैसे जैसे बड़ा होता जायेगा, शिशु के बोलने का कौशल भी बढ़ता जायेगा। लेकिन एक शिशु को बोलने के लिए हमेशा आपकी मदद की आवश्यकता होगी।, क्योंकि शिशु को भाषा का ज्ञान आपसे ही सिखने को मिलता हैं।
आइए विस्तार से जानते हैं, एक नवजात शिशु की बोलने में कैसे मदद की जाए और कैसे भाषा का ज्ञान का कौशल विकसित करे।
नवजात शिशु के बोलने का सही उम्र क्या हैं।
नवजात शिशु जन्म के बाद तीन वर्षों में बोलना शुरु कर देता हैं। नवजात शिशु का बोलना एक प्रक्रिया के साथ होता हैं, शिशु गर्भ से ही किसी भाषा को बोलना सिखता हैं। शिशु माता पिता के बोलने की शैली को समझना शुरु करता हैं।
शुरुआत में शिशु छह महीने तक भाषा का प्रयोग ना करके केवल रो कर अपनी बात सामने रखने की कोशिश करता हैं। फिर धीरे-धीरे माता पिता को देख कर होठों, ध्वनियों और बात करने वाले शब्दों को सिखता हैं।
जैसे कि आपको पता होगा, किसी भी भाषा को बोलने में हमारे जीभ, होठ, तालु और दाँत की अहम भूमिका होती हैं। वैसे ही जैसे जैसे शिशु के दाँत निकलते हैं, शिशु अपने बोलने की क्षमता को जानता हैं, और सबसे पहला शब्द बोलता हैं, हालांकि यह शब्द पूरी तरह साफ नही होती हैं।
मगर 6 महीने में सभी नवजात शिशु एक शब्द जरूर बोलते हैं। चाहे वह शब्द दादा, पापा, या माँ हो। सबसे महत्वपूर्ण बात एक नवजात शिशु कोई भी पहला शब्द अपनी माता पिता से सिखता हैं। इसलिए शिशु जिस देश में या जिस राज्य या जिस नगर में जन्म लेता हैं, उससे उसकी भाषा में फर्क नहीं आता, जो उनके माता पिता बोलते हैं। उसी भाषा को सबसे पहले बोलता हैं।
नवजात शिशु बोलना कब और कैसे सिखते हैं?
किसी भी नवजात शिशु को किसी भी भाषा सिखने की क्षमता का विकास जन्म से ही हो जाता हैं। नवजात शिशु अपने आस पास बोले जाने वाली भाषा को जल्दी ही सीख लेता हैं। लेकिन यदि कोई एक शब्द रोज शिशु के सामने दोहराया जाता हैं, तो शिशु उस शब्द को जल्दी सीख जाते हैं। और उस शब्द को दोहराते रहते हैं।
नवजात शिशु निम्नलिखित समय पर बोलना सिखते हैं।
नवजात शिशु को गर्भ से भाषा का ज्ञान हो जाता हैं?
वैज्ञानिकों द्वारा हुए एक शोध के अनुसार, शिशु माँ के गर्भ से ही बहुत सारे भाषा को सीख जाता हैं। नवजात शिशु अपनी माँ की आवाज गर्भ से ही पहचान जाता हैं, और माँ की हर बात को सुनता और समझता हैं, इसलिए जन्म के बाद भी कई सारे आवाजो के बीच माँ की आवाज को बखूबी पहचान जाता हैं।
जब नवजात शिशु तीन माह का होता हैं?
जब नवजात शिशु तीन महीने का हो जाता हैं, तो वह आपके बात करते समय आपके चेहरे को देखता हैं, और हर तरह के शब्द पर आपके चेहरे को पढ़ कर सीख लेता हैं। और जब आप उनसे बात करते हैं, तो शिशु भी उस शब्द पर प्रतिक्रिया देना शुरु कर देता हैं।
ज्यादातर शिशु माँ को सुनना ज्यादा पसंद करते हैं। क्योंकि उन्हे माँ के पास ज्यादा सुरक्षित महसूस होता हैं।
एक शोध के अनुसार माना जाता हैं, शिशु जिस गाने या गीत को गर्भ में सुनते थे, तीन महीनें के बाद उसी गाने को सुनने के बाद ज्यादा खुश हो जाते हैं।
जब शिशु 6 माह का होता हैं?
जब नवजात शिशु 6 महीने का हो जाता हैं, तो वह लगभग कोइ एक या दो शब्द अच्छे से बोलने लगता हैं। जैसे कि मम्मा, दादा, या मामा आदि शब्द बोलना शुरुकर देता हैं। और 6 महीने के बाद जब आप शिशु को उनके नाम से बुलाते हैं, तो वह इसपर प्रतिक्रिया देना शुरु कर देता हैं।
कुछ बेबी 6 महीने होने पर अपना दुख और खुशी को बताने के लिए शरीरिक प्रतिक्रिया देता हैं।
जब शिशु 9 माह का होता हैं?
जब नवजात शिशु 9 महीने का होता हैं, तो शिशु व्यंजन ध्वनियो को सिखना शुरु कर देता हैं। और इसके साथ शिशु 9 महीने की उम्र में आपसे बहुत सारे शब्दो को बात कर या इशारो से दौहराता हैं, जैसे कि इस उम्र में शिशु आपसे टाटा, पापा, बाय बाय, हाँ, ना जैसे और भी छोटे शब्दो का जवाब देना शुरु कर देता हैं।
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जब शिशु 12 माह का होता हैं?
जब शिशु 21 महीने का हो जाता हैं, तो वह आपके द्वारा या परिवार के सदस्यों द्वारा बोले जाने वाले शब्दो को समझने लगता हैं, जिसमें से कुछ टुटे फुटे शब्दों में बोलना या दौहराना सीख जाता हैं।
ज्यादातर बच्चे इस उम्र में साफ साफ कुछ शब्दो को बोलना शुरु भी कर देते हैं।
जब शिशु 18 माह का होता हैं।
जब नवजात शिशु 18 महीने का हो जाता हैं, तो वह वाक्यो को तो आराम से बोल नहीं बोलते हैं। मगर वह अपने दुख और खुशी को आपसे बोलने की कोशिश करते हैं। शिशु अपने कुछ शरीर के भागो को जान जाता हैं, जैसे कि शिशु को इस उम्र में अपने पैर, हाथ, दाँत, नाक, पेट उँगली के बारे में पता हो जाता हैं।
शिशु अपने आस पास के जान पहचान के व्यक्ति या बच्चे को बुलाना सीख जाता हैं। खास कर शिशु आके द्वारा बोले गये शब्दो को बार बार दोहराते हैं, खास कर आपके वाक्यों के अंतिम शब्द को बोलना सीख जाते हैं।
जब शिशु 24 माह का होता हैं।
जब नवजात शिशु 24 महीने का हो जाते हैं, तो वह कई तरह के शब्दोको जोड़ना शुरु कर देते हैं, जैसे कि माँ पानी, माँ दूध, या मम्मा भूख, मम्मा पॉटी, मम्मा शुशु आदि और भी शब्द को जोड़ना शुरु कर देते हैं।
जब शिशु 36 माह का होता हैं।
जब शिशु 36 महीने का हो जाता हैं, यानि 3 साल की उम्र में शिशु लगभग बहुत बाते करना सीख जाता हैं, वह आपसे कई तरह के प्रश्न करने सीख जाते हैं, और शिशु इस उम्र में सांकेतिक भाषा का भी प्रयोग करने लगते हैं।
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मैं अपनी नवजात शिशु की बोलने में मदद कैसे कर
सकती हूँ?
नवजात शिशु के बोलने सिखने में सबसे महत्वपूर्ण काम माता पिता का होता हैं। सिर्फ माता पिता ही अपने शिशु को बोलने में मदद कर सकती हैं। एक माता पिता अपने शिशु की बोलने में मदद पहले दिन से ही कर सकती हैं।
आप कुछ निम्न तरीको को अपना सकते हैं।
- आप अपने नवजात शिशु से बात करना चाहिए, चाहे यह खेल खेल में हो, या ऐसे ही शिशु को प्यार करते समय।
- आप जब भी अपने शिशु से बात करे, पूरी तरह साफ-स्पष्ट और आसान भाषा का प्रयोग करे।
- आप अपने शिशु को समय दे, ज्यादा से ज्यादा शिशु के साथ समय बिताये, इससे आपका शिशु बहुत खुश रहता हैं, और आपको कुछ बोलने की कोशिश करता हैं।
- आप जब ज्यादा समय शिशु के साथ बात करने, खेलने में देंगे, तो शिशु आपसे बात करना चाहेगा, उसके इशारे, चिल्लाने की आवाज पर प्रतिक्रिया दे।
- आप शिशु से अच्छी बात करे, जब भी आप अपने शिशु को नहला रहीं हो, या नैपी बदल रही हो, या जब शिशु दूध पी रही हो।
- आप जब भी जिस भी विषय में बात करे, शिशु को उस चीज को इशारे, या चीजों को दिखाये। जैसे यह दूध का बोतल हैं, बेबी को नींद आ रही हैं, सोने चले।
- जब शिशु 6 महीने का हो जाता हैं, तब वह आपकी कर इशारों 6 को समझता हैं, और आपका अनुकरण करता हैं। और याद रखता हैं, कि आप किस चीज के बारे में बता रहीं थी।
- जब आप शिशु को किसी किताब की चित्र या जानवर के बारे में बताये, तो उस जानवर की ध्वनि या उस जानवर के तरह एक्टिंग कर के याद रखने में सहायता करे। 6 महीने के बाद शिशु ऐसे चीजों को ज्यादा रूचि के साथ सिखते हैं। जैसे यदि आप शेर के बारे में बताये, तो शेर की तरह आवाज निकाले, या एक्टिंग करे। इससे शिशु को हमेशा याद रहता हैं, कि वह कौन सा जानवर हैं।
- 7 से 8 माह में शिशु कुछ सांकेतिक भाषा सिखता हैं। जो कि शिशु के शारीरिक विकास के साथ आता हैं। जैसे कि शिशु गोदी चाहिए, नहीं, हाँ का जवाब आदि का संकेत करता हैं।
- आपको अपने नवजात शिशु की बात को ध्यान से सुनना भी चाहिए, और उस पर प्रतिक्रिया भी करनी चाहिए। इससे शिशु को लगता हैं, आप उसकें बोलने से ज्यादा खुश हैं, और वह और कुछ बोलने की कोशिश करता हैं।
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क्या मैं अपने नवजात शिशु से तुतला कर उसी की भाषा में बात कर
सकती हूँ?
नवजात शिशु से शिशु की भाषा या तुतला कर बात करना आम बात हैं। ऐसा लगभग सभी जगह किया जाता हैं। सभी घरों में अपने शिशु के साथ बात करने या खेलने के लिए तुतला कर या शिशु की भाषा में बात किया जाता हैं।
इससे कोई परेशानी नहीं होती। यह भाषा शिशु को जल्द ही और आसानी से समझ आ जाता हैं। और जिस भाषा को शिशु जल्दी और आसानी से समझ जाए, उस भाषा का उपयोग करना अच्छा होता हैं।
आमतौर पर हर नवजात शिशु शुरुआत में बोलने के लिए तुतला कर, या शब्दो को तोड़ कर, या दोहरा कर बोलना सिखता हैं, ऐसे में आप उसकी भाषा में बात कर के उसे बोलने के लिए उत्साह बढ़ाते हैं।
लेकिन एक समय आपने पर आपको उसकी टूटी फूटी, तुतलाहट, और भाषा को दोहराने के आदत को छुड़ाना जरुरी होता हैं। इसलिए यदि आप अपने शिशु से तुतला कर बात कर रहे हैं, तो शिशु के 4 से 5 साल होने पर आपको तैयार रहना होगा, यह बताने के लिए कि, बचपन में आपने उसे तुतला कर बात क्यों की थी।
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मेरा बेबी कब मेरी आवाज को पहचाना शुरु करता हैं?
नवजात शिशु जन्म से पहले से ही वह आपकी आवाज को पहचानता हैं। शिशु माता पिता की आवाज गर्भ में ही रह कर सुन रहा होता हैं। और तब से शिशु आपकी आवाज पहचानता हैं।
हालांकि, बेबी गर्भ में आपकी धड़कन की आवाज को सुनने का आदि होने के साथ साथ वह आपके द्वारा गर्भ में ही बेबी से बात करना भी सुनता हैं।
ऐसा माना जाता हैं, गर्भ में रहकर आपका बेबी जिस जिस व्यक्ति का आवाज सुनता हैं, जन्म के बाद उसकी आवाज को बेबी पहचानता हैं।
यदि आप गर्भावस्था के दौरान किताब, किसी गाने को सुनते थे, तो आपका बेबी उस गाने को जन्म के बाद सुनकर खुश हो जाता हैं। वह उस गाने का लय और स्वर को अच्छी तरह से याद रखता हैं।
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नवजात शिशु मां की आवाज को कितने महीने में पहचानने लगता है?)
मेरा बेबी कब मुझसे बात करेगा?
आपका नवजात शिशु आपसे जन्म के बाद से ही बात करना शुरु कर देता हैं, आप जब अपने शिशु से बात करेंगे, तो वह आपके बातों की प्रतिक्रिया जन्म के बाद से ही देना शुरु कर देता हैं।
आपको अपने शिशु की इशारों को समझना होगा, तब ही आप अपने नवजात शिशु की प्रतिक्रिया को समझ पायेंगे।
आपकी बेबी में आपके बातों के जवाब में प्रतिक्रिया देने की स्वाभाविक क्षमता होती हैं। शिशु आपका ध्यान आकर्षित करने के लिए बहुत सारे पर्यास करता हैं। यदि आप अपने शिशु पर ध्यान दे, तो आप समझ पायेंगे, कि आपकी बेबी आपसे कितनी प्यार करती हैं, और आपसे क्या क्या बात करना शुरु भी कर दी हैं।
आप इसे खुद से आजमाए, आप अपने बेबी से बात करने के लिए शिशु के करीब जाए, और उससे बाते करे, ताकि शिशु आपकी होठों को देख कर आपको समझ सके, और फिर आप कुछ बोल कर अपने बेबी को भी बोलने का मौका दे, और थोड़ी देर चुप हो जाये।
आप जैसे ही चुप होंगे, आप पायेंगे, कि आपका शिशु आपको कुछ बोलने की कोशिश में कुछ बुदबुदा रहा हैं, या कुछ प्यारी प्यारी ध्वनि निकाल रहा हैं।
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मैं अपने नवजात शिशु को बोलने के लिए कैसे मदद करु?
नवजात शिशु को बोलने के लिए आप निम्न तरीकों से मदद कर सकती हैं।
कहानी की किताब पढ़े :–
बेबी को कहानियाँ सुनाये, मगर चित्र वाले कहानियाँ ज्यादा अच्छी हैं। मुझे पता हैं, आप सोच रहे हैं, कि छोटे बच्चे को क्या कहानियाँ समझ में आती हैं। जब बच्चे 3 साल के हो जाते हैं, तब आप चित्रों वाली कहानियों के किताब साथ मिलकर पढ़े।
इससे बेबी कहानियों को समझने के लिए चित्र को रूचि के साथ देखता हैं, और याद रखता हैं।
एक शोध के अनुसार बेबी को कहानियाँ सुनने से ज्यादा रूचि चित्र के माध्यम से बताने वाली कहानियाँ ज्यादा रूचि मिलती हैं, और साथ ही बेबी को नये तरह के शब्दों से अवगत होते हैं। और हर दिन एक किताब पढ़ने से बेबी 1.4 मिलियन अधिक शब्द सिखता हैं।
सांकेतिक भाषा सिखाये :-
आप अपने बेबी को कुछ सांकेतिक भाषा से अवगत कराये। इसके लिए आपको शिशु के धाराप्रवाह का होने की जरुरत नहीं पड़ती हैं।
एक नवजात शिशु किसी भी भाषा को आसानी से सीख जाते हैं।
आपको कुछ अलग नहीं करना हैं, बस आपको शिशु को कुछ भी बोलते और सिखाते समय आपको इशारों का भी उसे करना हैं। जैसे कि यदि शिशु को नींद के लिए शब्द सिखाना हैं, तो आप बोलने के साथ इशारों को भी उपयोग करे।
यदि आप अपने बेबी को संकेत या इशारों के माध्ययम से अपनी बात व्यक्त करने के लिए उत्साहित करेंगे, तो बेबी का आत्मविश्वास बढ़ जाता हैं, और बेबी और भी ज्यादा संवाद करता हैं।
ज्यादा से ज्यादा बात करना :-
यदि आपका शिशु अभी बोलना नहीं जानता तो, आप ऐसा तो नहीं करेंगे, कि मौन ही रह जाये। आपको अपने बेबी से ज्यादा से ज्यादा बात करना हैं, जिससे आपके बेबी को ज्यादा भाषा सिखने का मौका मिले।
जितना अधिक आप अपने बेबी से बात करेंगे, आपका बेबी उतना ज्यादा भाषा को समझेगा।
आप चाहे अपने बेबी को नहला रहे हो, या डायपर बदल रहे हो, कपड़े पहना रहे हो, या घूमने जा रहे हों, आप अपने बेबी से अपने मन में आने वाली सभी तरह की बाते करे, संभवहो तो ज्यादा आसान शब्दो का प्रयोग करे, लेकिन ज्यादा से ज्यादा बाते करना हैं।
आप चाहे तो बेबी के साथ मिलकर गाने गा सकते हैं।
शिशु के बोलने पर नहीं रोके:
हो सकता हैं, जब आपका बेबी बोलना शुरु करे तो वह टूटी फूटी शब्दों का उपयोग करे, या गलत ही उच्चारण करे। आप ऐसे में रोक टोक करेंगे, तो आप अपने बेबी की आत्मविश्वास को कम कर देंगे।
यदि आपका शिशु नींद आयी को नीनू आयी, पानी पीने को मम चाहिए, और कुछ लम्बे शब्द जैसे कि रस-गुल्ला को सिर्फ गुल्ला कहता हैं, तो आप बेबी को रोकने के वजय,आप खुद ही सही उच्चारण करे। जैसे कि यदि आपका शिशु बोले उसे नीनू आयी या नीनी आयी, तो आप सहीं उच्चारण करे, आप बोले “मेरी बेबी को नींद आ गयी”।
स्क्रीन के द्वारा कम सिखाये:
यदि आप अपने बेबी को मोबाइल या टी. वी. (टेलीविजन) के माध्ययम से कहानियाँ सुनाते हैं, या मनोरंजन करते हैं, तो आपको यह कम करना चाहिए।
एक शोध के अनुसार, 18 महीने से कम उम्र के बेबी अगर मोबाइल उपकरण का इस्तेमाल करती हैं, तो वह और भी देर से बोलना सिखता हैं। विशेषज्ञों ने बताया ज्यादा देर तक स्क्रीन देखना छोटे बच्चे के आँख की रोशनी कम होने का कारण हैं।
अमेरिकी एकेडमी ऑफ पीडीयट्रिक्स ने 2 से 5 साल के छोटे शिशु के लिए कम से कम 1 घंटा प्रतिदिन स्क्रीन समय उचित हैं, इससे ज्यादा स्क्रीन देखना शिशु में बहुत तरह की समस्या लाती हैं।
शिशु के सोने वक्त लोरी सुनाए:
भारतीय परंपरा के अनुसार, हर घर में बेबी को लोरी सुना कर सुलाया जाता हैं। इससे शिशु को जल्दी नींद भी आती हैं, और शिशु माँ की लोरी को हमेशा गुनगुनाता हैं।
कई घर में लोरी में कहानियाँ सुनाया जाता हैं, तो कही कुछ गाने सुनाये जाते हैं, लेकिन आप दोनो ही तरह से अपने शिशु को कुछ नया भाषा का ज्ञान देते हैं। और साथ ही बेबी भी लोरी सुनना पसंद करते हैं।
अपने बेबी के शब्दों को समझे:
जब आपका शिशु पहली बार बोलना शुरु करता हैं, तो आपको बेशक समझ नहीं आयेगी। लेकिन आपको बहुत सब्र रखना होगा।
आपको अपने बेबी की भाषा को समझना होगा। इसके लिए धैर्य और समय की जरुरत पड़ेगी।
जब आप अपने बेबी के बोले गये शब्दों को ना समझें तो, आप दुबारा पूछे, कि आपके बेबी ने क्या बोला। हो सकता हैं, आपके दोहराने पर भी आपको समझ ना आये, कि आपके बेबी ने क्या बोला, मगर आप अपने बेबी के बोले गये शब्दों में रूचि दिखाये, कि आपको वह शब्द गुबारा सुनने की इच्छा हैं। इससे आपकी बेबी समझेगी कि आपको उनका बोलना अच्छा लगा।
सम्बंधित : क्या नवजात शिशु अपनी माँ को सूंघ कर पहचान सकता है।
यदि आपके नवजात शिशु के बोलने का कौशल विकसित नहीं हुआ
हैं, तो क्या करना चाहिए?
मैंने हर लेख में आपसे यह कहा हैं, कि हर नवजात शिशु एक समान नहीं होता, हर बच्चे में अलग गुण और कौशल होते हैं। इसलिए आपको अपने बेबी को किसी भी अन्य बच्चे या बड़े भाई बहनों से तुलना नहीं करनी चाहिए।
मगर आप अपने बेबी की कुछ हाव-भाव पर जरुर ध्यान दे, जैसे कि शिशु का आवाज निकालना, शिशु के इशारे करना आदि।
यदि आपके शिशु ने 2 से 3 साल में एक या दो शब्द या कुछ भी बोलना शुरुआत नहीं की हैं, तो आपको बाल रोग विशेषज्ञ के संपर्क करने की आवश्यकता हैं।
बाल रोग विशेषज्ञ आपके बेबी की जाँच कर यह बता देंगे, कि आपका शिशु कब बोलेगा, या क्यो नहीं अब तक बोलना की शुरुआत की हैं।
आप डॉक्टर के पास सिर्फ 3 साल बाद ही नहीं, बल्कि यदि शिशु को आवाजे निकालने में परेशानी हो, तो आप 6 महीने में भी अपने बाल रोग विशेषज्ञ से संपर्क कर सकती हैं। बाल रोग चिकित्सक यह सुनिश्चित करेंगे, कि आपके शिशु में कोई परेशानी तो नहीं।
निष्कर्ष (Conclusion) :-
इस लेख में आपने पढ़ा कि आप अपने नवजात शिशु की बोलने में कैसे मदद कर सकती हैं, और आप कैसे अपने बेबी को बोलना सिखायेंगे। उम्मीद हैं, आपको सम्पूर्ण जानकारी मिल गयी होगी। यदि आपको कुछ अलग अनुभव हो तो आप जरूर नीचे कॉमेंट में अपने अनुभव को साझा करे।
यदि आपको मेरे इस लेख में सम्पूर्ण जानकारी मिल गयी हो, तो आप इस लेख को अन्य माता पिता के साथ शेयर करे।
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संदर्भ:
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