Kya Karen Bachcha Raat Ko Theek Se Nahin Sota Hai
क्या करें 0-3 महीने का बच्चा रात को ठीक से नहीं सोता है?
नई माँ को नवजात शिशु के नींद और शिशु के सोने के बारे में हमेशा चिंता लगी रहती है। क्योंकि नवजात शिशु बहुत नाजुक होने के साथ शिशु को जल्द ही भूख लग जाती है। और शिशु जाग जाते है। नवजात शिशु के जन्म के बाद दिन या रात एक जैसा होता है। और शिशु सोने का पैटर्न भी बेवक्त होता है। जिसके कारण माँ को भी सोने मे और नींद को पूरा करने में परेशानी क्योंकि नवजात शिशु कब किस वक्त जाग जाए यह पता कर पाना मुसकिल होता है। और ऐसे में माँ को भी नींद की अनियमितता होती है।
अक्सर आपने नोटिस किया होगा, कि जब आपकी नींद पूरी नही होती है, तो आपको सिर दर्द, थकावट, और चिड़चिड़ाहट होती है। और ऐसा होना अनिंद्रा होने का संकेत है। और ऐसा नवजात शिशुओं के साथ होना एक गंभीर विषय है। इसलिए आज यहाँ जानेंगे कि एक नवजात शिशुओ में जब अनिंद्रा हो जाए, रात को देर तक ना सोना, शिशु को नींद ना आना,और कैसे एक नवजात शिशु को जल्द सुलाने के लिए एक पैटर्न को अपनाने के लिए क्या करना चाहिए।
नवजात शिशु में सोने के लिए पैटर्न को लगाना तीन महीनो के बाद ही हो सकता है। इसलिए हमारे घर मे बड़े बुजूर्ग या डॉक्टर सलाह देते है। कि 4 से 6 महीने के बाद यह सब समान्य हो जाता है। लेकिन अगर इस पर अगर ध्यान नही दिया जाए। तो यह शिशुओ मे 2 साल तक भी शिशु के रात को सोने का पैटर्न तैयार नही होता है। और शिशु ज्यादातर रात को नींद पूरी नही होती और अनिंद्रा की शिकायत हो सकती है। और इससे माँ को ज्यादा परेशानी होती है।
बाल रोग विशेषज्ञ क्या कहते है।:-
विशेषज्ञ कहते है। हम सभी मनुष्य में सोने जागने का एक नियम होता है। जिसे नींद्रा चक्र से जानते है। चुँकि नवजात शिशु के जन्म के बाद शिशु को इस नई दुनिया मे ढलने मे समय लगता है। और इस कारण शिशु में नींद्रा चक्र को अपनाने में समय लगता है। इस कारण नवजात शिशु में नींद और सोने के नियम मे अनियमितता रहती है। सामान्यतः यह नवजात शिशु में यह नियम को अपनाने में 6 से 12 सप्ताह का समय लग जाता है।
आइए जानते है नवजात शिशु के नींद से जुड़ी महत्वपुर्ण तथ्य जिससे आपको नवजात शिशु में नींद का पैटर्न या आदत को बदलने मे मदद मिले। :-
शिशुओं में अनिद्रा क्यों होता है?
नवजात शिशु में अनिंद्रा का होना यह संकेत है कि नवजात शिशु का विकास सही से नही हो रहा है। और शिशु के देखभाल में कोई कमी हो रही है।
अनिंद्रा के क्या लक्षण है।
- सही समय पर नींद ना आना
- नींद आने मे परेशानी
- देर रात कोशिश करने पर भी ना सो पाना
- और देर से सोने के बाद सुबाह देर तक आँख ना खुल पाना
- अनिंद्रा में रात को नींद ना आना, अगर आना भी तो देर रात से आना
ऐसा देखा गया है, कि नवजात शिशुओ मे भी अनिंद्रा के लक्षण देखे जाते है।
शिशुओं में अनिद्रा के क्या लक्षण पाये जाते है:-
- नवजात शिशु चिड़चिड़ा हो जाते है।
- सारा दिन रोते रहते है।
- शिशु रात मे देर से सोते है।
- शिशुओ के नींद में परेशानी आती है।
- सुबह देर तक सोये रहना और उठने पर थकावट सा प्रातीत होता है।
👉 सामान्यतः नवजात शिशु को सोने के समय दुध पीला कर दुलार करने, सहलाने और सुलाने के प्रयास करने पर 15 से 20 मिनट के अंदर नवजात शिशुओ को नींद आ जाती है। लेकिन अगर नवजात शिशु को लम्बे समय तक सुलाने के प्रयास करने पर भी नही सोने से संकेत मिलता है कि शिशु को भी अनिंद्रा की समस्या है। एक बार नवजात शिशु को अनिंद्रा हो जाए तो यह ना सिर्फ नवजात शिशु के लिए परेशानी है। बल्कि नवजात शिशु के माँ के लिए भी समस्या है। इस कारण माँ भी समय पर सो नही पाती और माँ मे भी सिर दर्द, थकावट, और चिड़चिड़ाहट हो जाती है।
शिशुओ में अनिंद्रा का क्या कारण है:-
डॉक्टर कहते है। नवजात शिशु बहुत ही नाजुक होते है। और नवजात होने के कारण अगर शिशु को कोई परेशानी हो तो भी वो बता नही पाते। सामान्यतः नवजात शिशु के ना नींद ना आने के ये कारण हो सकते है।
1. नवजात शिशु का डरना :-
नवजात शिशु बहुत नाजुक दिल वाले होते है। शिशु किसी भी प्रकार की ध्वनि या शोर से डर जाते है। खास कर जब शिशु सोया हो और अचानक जब किसी तरह की आवाज से शिशु की नींद खुलती है तो नवजात शिशु किसी को अपने पास अपनी माँ को ना देख डर जाते है। और जब नवजात शिशु सोना भी चाहे तब भी उसे डर लगा रहता है। कि उनके सोने के बाद माँ चली जायेगी या सोने के बाद अंधेरा हो जायेगा, अकेले पड़ जाने का डर नवजात शिशु के मन में आ जाने से नवजात शिशु को अनिंद्रा जैसी बीमारी हो सकती है।
2. नवजात शिशु को डरावना सपना आना :-
नवजात शिशु के 2 साल का होने के बाद सपने आने लगते है। और कभी कभी डरावने सपने आने के बाद नवजात शिशु को सोने में डर लगता है। और शिशु को नींद आने पर भी नही सोते और नींद में परेशानी आ जाती है।
3. नवजात शिशु को सांस लेने में तकलीफ (Apnea of Prematurity) :-
नवजात शिशु को सोने के दौरान रात में कभी कभी सांस लेने में परेशानी आना एपनिया ऑफ प्री मैच्योरिटी (Apnea of Prematurity) नामक बीमारी है। इसमे नवजात शिशु के नींद मे सोये होने के समय 15 से 20 सेकेण्ड के लिए सांस लेने में परेशानी आ जाती है। और साथ ही साथ शिशु के हृदय की गति का कम होना, और शिशु के हृदय में ऑक्सीजन का स्तर धीमी और ना होना, नवजात शिशु के लिए खतरनाक और जानलेवा हो सकता है।
4. नवजात शिशु का भूखा होना :-
नवजात शिशु का भुखा होने पर शिशु को नींद नही आती और शिशु चिड़चिड़ा और परेशान हो जाता है। इसलिए शिशु को सुलाने से पहले दुध जरुर पिलाया जाता है।
5. नवजात शिशु को किसी बीमारी या तकलीफ का होना :-
नवजात शिशु अगर समय पर ना सोते हो, और लगातार रोते रहते हो, यह संकेत है,कि नवजात शिशु को किसी प्रकार की तकलीफ या दर्द हो सकती है जो शिशु को परेशान कर रही है। जो नवजात शिशु को सोने में भी परेशानी आ सकती है। शिशु में किसी तरह की बीमारी जैसे दांत आन, कान में तकलीफ, बुखार, या किसी प्रकार की परेशानी या बीमारी नवजात शिशु के नींद को प्राभावित करती है।
6. नवजात शिशु को ठंड या गर्मी का लगना:-
मौसम के खारब होने या मौसम के बदलाव के कारण, अचानक ज्यादा ठंड या गर्मी का बढ जाना नवजात शिशु के लिए परेशानी का कारण हो सकता है। क्योंकि नवजात शिशु का शरीर नाजूक होने के कारण किसी भी वातावरण को जल्द अपना नही सकता है। और इस कारण नवजात शिशु को पसीना आना या ठंड के मौसम में बार बार नैपी गीला करने से नवजात शिशु की नींद खराब हो जाती है। और नवजात शिशु को जल्द नींद ना आने पर अनिंद्रा की शिकायत रहती है।
शिशुओ में अनिंद्रा होने से किस तरह की बीमारी का खतरा हो सकता है:-
नवजात शिशुओं में अनिंद्रा होने पर कई तरह की बिमारी हो सकती है। और शिशुओ मे अनिंद्रा की परेशानी लम्बे समय तक ठीक नही होने पर शिशुओं के विकास पर भी असर पड़ता है।
अनिंद्रा से होने वाली बिमारी:-
- शिशु का विकास मे कमी (Decreased infant development)
- मानसिक परेशानी (Mental trouble)
- डायबिटीज (Diabetes)
- मोटापा का आना (Baby obesity)
- ह्रदय रोग संबंधी समस्या (Heart problem)
- थकावट या ऊर्जा की कमी (Exhaustion or lack of energy)
न्यू बोर्न बेबी कितने घंटे सोते है।:-
दिये गये चार्ट से आप समझ सकते है एक नवजात शिशु के जन्म से 12 महीनो तक की नींद के चक्र:-
नवजात शिशु को एक दिन में से 16 से 17 घंटे सोना जरूरी है। हालांकि, कुछ नवजात शिशु 18–20 घंटे की नींद ले सकते हैं। और हर 1 से 2 घंटे में नवजात शिशु को भूख लगने पर जागते है। और दुध पीने के बाद पुनः सो जाते है। नवजात शिशु को रात में खास कर ज्यादा देर तक सोने के लिए मदद करनी चाहिए।
नवजात शिशु को पर्याप्त नींद सोने के क्या फायदे है? :-
Mere Bachcha ko puri neend Raat Ko Theek Se Nahin Sota Hai:
नवजात शिशु को जन्म के बाद से 1 साल तक नींद की खास ख्याल रखना होता है। क्योंकि नवजात शिशु गर्भ मे 9 महीनो के बाद बाहर की वातावरण को अपनाने में समय लगता है। इसी लिए नवजात शिशु जन्म के बाद 16 से 18 घंटे नींद की जरुरत होती है। नवजात शिशुओमें नींद के पैटर्न सेट करने के लिए कम से कम 3 महीने और ज्यादा से ज्यादा 12 महीने तक का समय लग जाता है। जन्म के बाद नवजात शिशु को ज्यादा आराम की जरूरत होती है।
नवजात शिशुओ को अगर पर्याप्त मात्रा में नींद मिलने से :-
- नवजात शिशु की शारीरिक और मनसिक विकास सही से होती है।
- नवजात शिशु ऊर्जावान महसूस करते हैं।
- नवजात शिशु के शरीर के हॉर्मोन्स भी सही से विकास होता है।
- नवजात शिशु की याददाश्त भी बनी रहती है जिससे नवजात शिशु जल्दी सीखते है।
मेरा बच्चा रात को सोता नहीं है (Mera Bachcha Raat Ko Theek Se Nahin Sota Hai) :-
नवजात शिशु के जन्म के बाद माता-पिता की जिम्मेदारी बढ जाती है। माता पिता को रात में भी अपने नवजात शिशु की देख-भाल के लिए रात मे खास कर सतर्क रहना पड़ता है। नवजात शिशु हर एक दो घंटे में दुध पीने के लिए रात को कभी जाग सकते है। और नवजात शिशु के जन्म के बाद शुरुआती छः महीने तक नवजात शिशु के सोने में अनियमितता रहती है। नवजात शिशु में किसी तरह के पैटर्न 6 से 12 सप्ताह के बाद बनता है। जिसके बाद शिशु नियमित ढ़ंग से सो पाते है। आप भी 12 सप्ताह तक शिशु के अनियमित सोने के तरीके में कोई बदलाव नही कर सकते है। लेकिन 3 से 4 सप्ताह के बाद नवजात शिशु में एक नियमित सोने का तरीके की आदत डाल सकते है।
- जब आपका नवजात शिशु 6 से 12 सप्ताह का हो जाए तब आप अपने नवजात शिशु के सोने के लिए एक दिनचर्या की आदत स्थापित कर सकते है।
- नवजात शिशु को सोने की आदत डाले।
- नवजात शिशु को नींद आने पर भी शिशु जाग रहा हो तो उसे सुलाने का प्रर्यास करे।
- शिशु को सुलाने के लिए शिशु को पीठ के बल लेटाये।
- शिशु को दुलार करे। सीने पर सहलाये।
- नवजात शिशु को कभी भी अकेला नही छोड़े।
- शिशु को एक खास तरीके को ही हमेशा अपनाऐ। जिससे शिशु को खुद सोने मे मदद मिले। एक जैसे सोने के तरीके से सुलाने, एक ही जगह पर या पालने पर जाने से शिशु मे खुद से सोने की आदत आ जाती है।
- यदि आप अपने नवजात शिशु को स्तनपान करवाकर सुलाने का आदत डालती है तो जब भी रात को शिशु के उठ जाने पर स्तनपान करवाकर सुला दे।
- आप चाहे तो शिशु जब भी रात में जाग जाए तो आप अपनी आवाज में लोरी सुना कर सुला सकती है। इससे शिशु को आपकी आवाज सुनकर सुरक्षित महसूस होगा।
- हर रोज या नवजात शिशु को सुलाने के लिए नए नए आदतों को ना अजमाये। नयी नयी आदतों से शिशु की नींद प्रभावित होती है। और अनिंद्रा की शिकायत हो सकती है।
- नवजात शिशु के अगर दाँत आ रहे हो, तो सुलाने नई आदतों शुरुआत करने कोशिश ना करें। लेकिन,अगर आपने पहले से ही शिशु को सुलाने की आदत डाला है तो उसी को नियम को फोलो करे।
- नवजात शिशु के सुलाने के समय कमरे में शांत बनाये रखना जरुरी है।
ऐसा करने का बाद भी अगर आपका बच्चा सोता नही है तो आपको अपने बाल रोग विशेषज्ञ और चिकित्सक या अपने डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए।
नवजात शिशु का चमकना या छोटे बच्चे का बार बार चौकना। :-
नवजात शिशु और छोटे बच्चे का बार बार चौकना नींद में आयी बदलाव और भी कोई कारण हो सकता है। या हो सकता है शिशु की तबियत खराब हो जैसे बुखार जैसी बीमारी का होना भी एक कारण हो सकता है। या मौसम के वजह से आयी नींद में बदलाव भी एक कारण है। इसके अलावा नवजात शिशु के पालन-पोषण में कमी नवजात शिशु के विकास में बाधा हो सकता है।
जब आपका नवजात शिशु अचानक उठता है तो इस बातो पर ध्यान दे:-
- क्या आपने नवजात शिशु के सोने के जगह या पालने में किसी तरह का परिवर्तन किया है। नवजात शिशु को इस नयी जगह में सुरक्षित महसूस ना होने के कारण शिशु डरा हुआ या असुरक्षित महसूस करेगा।
- क्या नवजात शिशु के सोने के स्थान पर किसी तरह का शोर होता है। शिशु के सोने वाली जगह को शांत रहना अति आवश्यक है।
- नवजात शिशु के सोने वाले कमरे मे ना तो अंधेरा होना चाहिए। ना ही तेज रोशनी।
- क्या हाल में मौसम परिवर्तन हुआ है। अचानक ठंड या गर्मी का बढना। शिशु के कमरे का तापमान सामान होना चाहिए।
- रात में ज्यादा नैपी/डायपर गीली करता है।
- क्या शिशु कोई बीमारी है या किसी प्रकार का दर्द या तकलीफ हो सकती है। या दाँत आने का समय।
बच्चे की नींद के घरेलु नुस्खे (Tips for Bachcha Raat Ko Theek Se Nahin Sota Hai):-
- छोटे बच्चे के सोने के लिए एक दिनचर्या या रुटीन तैयार करे। जिस समय नवजात शिशु को उसी तय समय पर सुलाये।
- अपने बच्चे को नहलाकर, मालिश करे, फिर शिशु खुद सो जायेगा। नवजात शिशु को रात में कभी नही नहलाये। और नहलाने के आधे घंटे पहले ही दुध पीला दे।
- नवजात शिशु के सोने वाले स्थान की सफाई अवश्य करे। और सुनिश्चित करे कि शिशु के सोने वाला स्थान आरामदेह हो।
- शिशु के कपड़े भी साफ और आरामदेह होनी चाहिए।
- बच्चे की कमरे में तेज रोशनी नही होनी चाहिए।
- नवजात शिशु के सोने वाले कमरे में शांती बनी होनी चाहिए। किसी तरह की आवाज शिशु को नींद से जगा सकती है।
- नवजात शिशु के पास किसी तरह के खिलौने नही रखे। अगर शिशु खेलते हुए सोया हो तो शिशु के सोने के बाद खिलौने को हटा दे।
- अगर शिशु को ढकने के लिए कोई कंबल या चादर ओढ़ाते है तो शिशु के मुँह को ना ढके।
- नवजात शिशु को हमेशा सिधा पीठ के बल सुलाये।
बच्चों को सुलाने या नींद आने की दवा :-
अपने बच्चे को सुलाने के लिए किसी तरह की दवा का सहायता नही ले। ये बच्चे के लिए जानलेवा हो सकता है। बच्चे बहुत छोटे होने के साथ-साथ बहुत नाजुक होते है। और बच्चे को दवा देना हानिकारक हो सकता है। अगर आपके बच्चे को नींद नही आ रही तो डॉक्टर की सहायता ले। अपने बाल रोग चिकित्सक को अपने बच्चे की समस्या बताये अगर डोक्टर द्वाई दे तब ही दवा का उपयोग करे।
नवजात शिशु को बाल रोग चिकित्सक या डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए। :-
अगर आपका नवजात शिशु किसी भी कारण सो ही ना पा रहा हो। और सिर्फ रो रहा हो तो बिना किसी विलम्ब के तुरंत बाल रोग विशेषज्ञ या डॉक्टर के पास जाए। और अपनी नवजात शिशु की समस्या को डॉक्टर को बताये।
Conclusion (Kya Karen 0-3 mahine ka Bachcha Raat Ko Theek Se Nahin Sota Hai):
यह लेख से आपको सटिक जानकारी मिल गयी होगी कि शिशुओं में अनिंद्रा हो,0-3 mahine ka Bachcha Raat Ko Theek Se Nahin Sota Hai, तो कैसे जाने और क्या लक्षण से पता करे शिशु को अनिंद्रा की बीमारी है। कुछ घरेलु नुस्खे भी आपको अपने नवजात शिशु को सुलाने में मदद कर सकते है। और आपको अपनी बच्चे में अनिंद्रा के लक्षण दिख रहे हो तो आपको तुरंत अपने बाल रोग विशेषज्ञ या डॉक्टर के पास जाकर शिशु की बीमारी के बारे में बात करे या सलाह ले। अगर आपके मन में इस लेख से जुड़ा कोई सुझाव हो या अनुभव हो, तो अवश्य नीचे कमेंट मे बताएं। जिससे अन्य किसी माता पिता की मदद हो सके। और यह लेख को आप अपने दोस्तो या रिस्तेदारो और किसी अन्य माता पिता के साथ शेयर करें। धन्यवाद!!
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