Baby Ke Daant Nikalate Samay Kin Baaton Ka Dhyaan Rakhana Chaahie
Baby Ke Daant Nikalate Samay Kin Baaton Ka Dhyaan Rakhana Chaahie: बच्चे के जब दाँत आने लगते हैं, तो खास कर बच्चे के माता पिता को अपने बच्चे का खास ध्यान रखना होता हैं, वेसे तो बच्चे का दाँत आती हैं, तो सबसे ज्यादा खुशी माता पिता को होता हैं।
आपके बच्चे का पहली दाँत आना बच्चे के खाने, बोलन, और मुस्कुराने जैसे नये शरीरिक बदलाव का आगमन होता हैं। ऐसे बदलाव के साथ साथ अब बच्चे के दांतों का खास ख्याल रखना जरुरी हो जाता हैं, क्योंकि अगर आप अपने बच्चे ले दांतों का ख्याल नहीं रखते हैं, तो बच्चे के दांतों में सड़न, दांतों में दर्द जैसी समस्या हो सकती हैं।
आपके बच्चों को जब दर्द जैसी परेशानी होती हैं, तो सबसे बड़ी यह दिक्कत होती हैं, आपका बच्चा उस दर्द को बताने में असमर्थ होता हैं।
तो आइए जानते हैं, बच्चे के दाँत निकलते समय किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, जिससे आपके बच्चे के दांतों को स्वस्थ रखने, और भविष्य में होने वाली दंत समस्याओं से बचाने के लिए क्या करना चाहिए।
Baby Ke Dudh ke Daant: छोटे बच्चे के दूध के दाँत बच्चे के जन्म के बाद आने वाले सबसे पहले दाँत होते हैं, और यह दाँत जन्म से पहले ही विकसित होने लागते हैं। जब बच्चा 6 से 12 महीने का होने लगता हैं, बच्चे के दूध के दाँत आने शुरु जाते हैं।
बच्चे के दूध के दाँत की पूरी संख्या 20 के लगभग होती हैं, और बच्चो को पूरे 20 दूध के दाँत आने में 3 साल का समय लगता हैं। और दूध के दाँत भी एक समय बात टूट जाते हैं। क्योंकि अब उस जगह स्वस्थ और स्वच्छ वयस्क दाँत आ जाती हैं।
जब बच्चा 6 से 12 वर्ष की आयु हो जाती हैं, दूध के दाँत टूटने शुरु हो जाते हैं, और आपको बच्चे के इस दौरान दाँत के सड़न होने से बचाने चाहिए।
बच्चे के दाँत निकलने वक्त होने वाली परेशानी (Baby Ke Daant Nikalate samay hone wali paresaani):
Baby Ke Daant Nikalate samay hone wali paresaani: बच्चे का जब शुरुआती दाँत आता हैं, तो यह बहुत परेशानी भरा होता हैं, बच्चे को दाँत निकलते समय ब्लीडिंग हो सकती हैं। ऐसे में आपको अपने बच्चे के प्रति सावधानी रखनी चाहिए।
हालांकि, दाँत निकलने वक्त ब्लीडिंग होना सारे बच्चों के साथ नही होता, कुछ बच्चों को दाँत आने के समय ब्लीडिंग होने लगती हैं। अगर यह ब्लीडिंग सामान्य हो रही हो, तो कोई परेशानी की बात नही, लेकिन ब्लीडिंग रुक नही रही, या ज्यादा ब्लीडिंग हो रही हो, तो यह बच्चे को दाँत संबन्धी बीमारी होने का संकेत हैं। इस बीमारी को हीमोफीलिया के नाम से जानते हैं। यह बीमारी सिर्फ दाँत निकलने के दौरान ही होती हैं।
अगर आपके भी बच्चे को ऐसी कोई समस्या हो, दाँत आने वक्त मसूड़ों से खून आता हो, तो ऐसे में आपको अपने बाल रोग विशेषज्ञ से सम्पर्क करना आवश्यक होगा। सामन्यतः डॉक्टर एक इंजेक्शन देते हैं, या दवाई भी दे सकते हैं।
आपके बच्चे को दंत चिकित्सक के पास कब जाना चाहिए? (Baby Ke Daant ko Dentist ke paas kab dikhaye?)
Baby Ke Daant ke liye Dentist ke paas kab jaye: बच्चे के स्वास्थ्य के लिए जरूरी हैं, बच्चे के सारे शरीर की खास देखभाल करना। जिसमें बच्चे के दाँत भी सबसे महत्वपूर्ण हैं। आमतौर पर बच्चे के पहले दाँत आने के बाद ही आपको अपने दंत चिकित्सक से मिलना चाहिए। वैसे बच्चों को एक साल के होते ही एक बार बच्चे के दाँत को दंत चिकित्सक से जाँच कराना चाहिए।
आपके बच्चे के स्वस्थ दांतों के लिए आपकी मदद सिर्फ दंत चिकित्सक ही कर सकते हैं। एक साल के होते ही बच्चे को दंत चिकित्सक के पास बच्चे के दाँत से जुड़ी सारे जोखिम को कम किया जा सकता हैं।
आपके बच्चे के लिए दंत चिकित्सक दांतों की देखभाल के सबसे अच्छे सुझाव देंगे। यदि आपके बच्चे के दाँत से जुड़ी कोई समस्या विकसित होने वाली होगी, तो डॉक्टर जल्द ही उपचार कर देंगे, या कोई समस्या विकसित ही ना हो, ऐसा दिशा निर्देश जरूर देंगे।
मुझे बच्चे को टूथपेस्ट के साथ ब्रश करना कब शुरू करवाना चाहिए।
(Baby Ke Daant Brush karna kab suru kre):
बच्चे के दाँत आते ही ब्रश करने का समय आ जाता हैं। बच्चे के सभी दूध के दांतों आने के बाद बच्चे को धीरे धीरे ब्रश की आदत डलना उचित होता हैं। क्योंकि दाँत आने के बाद कैविटी होना शुरु हो जाता हैं। ऐसे में बच्चे को दाँत सड़न से बचाने के लिए ब्रश की आदत 3 से 4 साल में लगा देना चाहिए।
बच्चे को ब्रश करने की शुरुआत कैसे कराये।
आप अपने बच्चे की दाँतों की देखभाल करने के लिए बच्चे को ब्रश कराने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। हालांकि, शुरुआत में बच्चे को ऐसी आदत नही लगती, इसलिए आपको अपने बच्चे को दाँत को ब्रश करने के लिए मदद करनी चाहिए। आमतौर पर 8 साल की उम्र में ब्रश करना सीख जाते हैं।
एक अध्ययन के अनुसार,एक बच्चे की ब्रश करने की आदत के लिए बच्चे के माता पिता की सहायता काफी प्रभावी होती हैं।
बच्चे को खुद से ब्रश करने के तरीके सिखाने के टिप्स :
Baby Ke Daant Ko Khud Se Brush Karne ke liye Tips:
2 वर्ष से कम उम्र वाले बच्चों के साथ फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट का इस्तेमाल करे। जिसमें बस एक चावल के दाना की मात्रा में पेस्ट दे।
3 से 6 वर्ष की उम्र में फ्लोराइड युक्त पेस्ट का मटर के दाना की मात्रा में पेस्ट का इस्तेमाल करे।
हमेशा एक नरम ब्रिसल वाले ब्रश ही चुने।
लगभग दो मिनट रोज ब्रश कराये।
बच्चे को ब्रश को हमेशा 45 डिग्री पर रखने को सिखाये। धीरे धीरे दांतों को ब्रश कराये।
कम से कम 6 वर्ष तक अपने बच्चो पर ब्रश करने को सिखाये।
बच्चे के दांतों को फ्लोराइड कैसे फायदा पहुचाता हैं।
नल के पानी और टूथपेस्ट में पाया जाने वाला फ्लोराइड आपके बच्चे के दाँत को कैविटी परत को हटाकर दाँतों को मजबूत बनाता हैं। जिससे दाँत में सड़न कम होता हैं।
फ्लोराइड युक्त पानी पीना सबसे फायदेमंद होता हैं। यह दांतों में होने वाला कैविटीज को रोकने में मदद करता हैं। पानी एक स्वास्थ्यवर्धक पेय होता हैं। किसी भी मानव शरीर में 60% पानी होता हैं। और पानी शरीर को हाइड्रेटेड रखने में मदद करता हैं। जिससे शरीर को पोषक तत्वों की कमी नही होती। पानी त्वचा के लिए भी लाभकारी होता हैं। पानी से मांसपेशियो को उर्जा मिलती हैं। वास्तव में पीने का पानी दांतों को स्वस्थ रखने में मदद करता हैं। मगर अगर यह फ्लोराइड युक्त होना चाहिए।
बच्चे के आहार दाँत को स्वस्थ रखने में कैसे एक बड़ी भूमिका निभाता है? (Baby Ke Daant ko Healthy Rakhane Mai Food Ki Bhumika):
Baby Ke Daant ko Healthy Rakhane Mai Food Ki Bhumika: एक अच्छा आहार बच्चे के दाँत के विकास में भी आवश्यक हैं। एक बच्चे को अपने आहार को चाबाने के दौरान दाँत को मजबूत करता हैं। साथ ही बच्चे को बोलने और एक अच्छी दिखने वाली मुस्कान के लिए दातों के स्वस्थ रखने की आवश्यकता होती हैं।
बच्चे के आहार में दूध, सब्जियाँ, और फल और भी खाद्य पदार्थ में चीनी होती हैं, जो क्षय में योगदान कर सकती हैं । और कुछ खाद्य पदार्थ दांतों पर कठोर प्रभाव छोड़ते हैं। जैसे कि सोडा,जूस, मीठा पेय,फलों के स्नैक्स और कैंडी जैसे खाद्य पदार्थ को कम खाने की शिफारिस करती हैं।
बच्चों को अपने भोजन को चबाने, बोलने और एक अच्छी दिखने वाली मुस्कान के लिए मजबूत, स्वस्थ दांतों की आवश्यकता होती है। दूध या सब्जियों सहित लगभग सभी खाद्य पदार्थों में कुछ प्रकार की चीनी होती है, जो दांतों के क्षय में योगदान कर सकती हैं । इसके अलावा, कुछ खाद्य पदार्थ दांतों पर कठोर होते हैं और इन्हें कम मात्रा में खाना चाहिए। इसमें सोडा और जूस जैसे मीठा पेय या फलों के स्नैक्स और कैंडी जैसे चिपचिपे खाद्य पदार्थ शामिल हैं।
क्या रात में बच्चे को बोतल दूध पिलाने पर कोई नुकसान होता हैं?
दूध या जूस पीने से दांतों पर इसकी शर्करा की मात्रा दांतों पर लम्बे समय तक बैठती हैं, जो दांतों को नुकसान पहुँचाता हैं। बच्चो को रात के समय दूध पिलाने से हमेशा सामने के दांतों में कैविटी का खतरा होता हैं। और अगर लम्बे समय तक ध्यान नही दे, तो अन्य दाँतभी प्राभावित होते हैं। और ऐसा बार बार रात को बच्चे को चीनी युक्त पेय या दूध पिलाने से बच्चे के दाँत खराब हो सकते हैं।
इसलिए अपने बच्चे को रात के समय सोने से पहले ही दूध पीने की आदत लगाये, अगर आपका बच्चा रात को उठता हैं, तो उसे पानी दे, जो बच्चे के दाँत के लिए नुकसानदायक नहीं होता हैं।
बच्चे अपनी उँगली चुसता हैं, इससे बच्चे के दाँतों पर क्या प्रभाव पड़ता हैं।
छोटे बच्चे का अपनी अँगूठे या किसी भी उँगली का चुसना आम बात हैं, कुछ बच्चे पैसिफायर को चुसते हैं। लेकिन अगर एक बच्चा लम्बे समय तक ऐसा करता हैं, तो दाँतो की स्थिति बदल सकती हैं। ऐसे हमेशा करने से बच्चे को बोलने या चबाने में समस्या या कठिनाई होती हैं। और बच्चों में आने वाले दूध दाँत के बाद व्यस्क दाँत भी विस्थापित हो सकती हैं।
अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (AAP) दंत चिकित्सक के अनुसार, बच्चे को अपने उँगली को चुसना 3 साल की उम्र में बंद कर देना चाहिए। अगर आपके बच्चे इस आदत को नही छोड़ पा रहे, तो आपको दंत रोग चिकित्सक की मदद लेनी चाहिए।
आमतौर पर चिकित्सक एक ही तरीका का सुझाव देते है, कि आपको अपने बच्चे को अगर पैसिफायर चुसने की आदत हैं, तो उस पैसिफायर में कुछ कड़वा लगा दे, जैसे ऐलो वेरा, करेले का रस, या कोई भी ऐसा फल जो स्वास्थ के लिए हानिकारक ना हो। और जब आपका बच्चा उँगली चुसता हैं, तो उसे भी कुछ कड़वा लगा दे। जो कि बच्चों को दुबारा पैसिफायर या अंगुठा चुसने से रोकता हैं।
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