Navajaat Shishu Ki Potty Problems: बच्चे की पॉटी और मल मूत्र बच्चे के स्वस्थ्य के बारे में बहुत कुछ बता देती हैं। आपको हैरानी हो, कि जन्म के बाद से बच्चे का मल का रंग आमतौर पर बदलाता रहता हैं। लेकिन माता पिता को चिंता तब होती हैं, जब उनके बच्चे के मल का पतला हो रहा हो, ज्यादा ठोस हो रहा हों, या या बच्चा सामान्य से ज्यादा बार मल त्याग करने लगता हैं। और कभी कभी बच्चे मल त्याग ही नहीं करते हैं।
आमतौर पर इस तरह की परेशानी में आपको बाल रोग चिकित्सक या डॉक्टर से सुझाव लेना चहिए। बाल रोग विशेषज्ञ आपके बच्चे के साथ हो रही परेशानी के बारे में अच्छे से जानते हैं, वो आपको इस बारे में ज्यादा सटीक और सही जानकारी के साथ सही उपचार भी जरुर बतायेंगे।
बच्चे की पॉटी संबंधी समस्या हर उम्र मे अलग होता हैं, जब बच्चा नवजात शिशु होता हैं, उस समय आपका बच्चा सिर्फ स्तनपान या फ़ॉर्मुला दूध ही पीता हैं। जैसे जैसे आपका नवजात शिशु बड़ा होता हैं, शिशु ठोस आहार भी लेना शुरु कर देता हैं। बच्चे के खान पान का बच्चे के मल पर काफी प्रभाव पड़ता हैं।
आमतौर पर बच्चे बहुत ही जल्दी जल्दी मल त्याग करते हैं। और आपके बच्चे के खान पान और बच्चे के विकास के साथ बच्चे का मल का रंग जन्म के बाद हर रोज बदलता रहता हैं। बच्चे का मल, मल का रंग, मल की गंध और मल का आकार बच्चे के बीमारी, बच्चे के विकास में समस्या और बच्चे का स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं।
आइए विस्तार से जानते हैं, बच्चों को पॉटी या मल त्याग या मल के रंग, रूप, और गंध किस तरह बच्चे की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का संकेत देते हैं। बेबी केयर टिप्स के इस लेख में नए माता पिता को ध्यान में रखते हुए, बच्चों की मल या पॉटी से संबंधी समस्याएँ और उनके कारण और उपचार के बारे में बताया गया हैं।
एक स्वस्थ शिशु कितनी बार मल त्याग या पॉटी करता हैं?
एक स्वस्थ नवजात शिशु जन्म के बाद पूरे दिन में लगभग 8 से 10 बार पॉटी करता हैं। ऐसा सिर्फ जन्म के बाद दो सप्ताह तक होता हैं। फिर जैसे जैसे बच्चे का विकास होता जाता हैं, बच्चे की पॉटी की संख्या में बदलाव आता हैं।
बच्चे की पॉटी की संख्या के बारे में इस चार्ट में आपको बच्चे के उम्र के हिसाब से बच्चे की पॉटी करने के बारे में पूरी जानकारी मिल जाएगीं।
स्वस्थ नवजात शिशुओं की पॉटी कैसी होती हैं?
जब नवजात शिशु का जन्म होता हैं, उस दौरान शुरुआती दो दिन बच्चे की पॉटी से मिकोनियम नाम का तरल शिशु की पॉटी के रूप में बाहर निकलता हैं। यह मिकोनियम हरे या काले या हरे और काले मिक्स भी हो सकता हैं। यह मिकोनियम चिपचिपा और टार के रूप में होता हैं।
यह एक श्लेम (Mucus), एमनियोटिक द्रव्य के साथ शिशु जब गर्भ में होता हैं, उस दौरान शिशु द्वारा निगला गया अवशेष मिलकर मिकोनियम बन कर निकलता हैं।
स्तनपान करने वाले नवजात शिशु की पॉटी कैसी होती हैं?
माँ जब अपने नवजात शिशु को जन्म के बाद जो पहला दूध पिलाती हैं, वह बहुत ही गाढ़ा और पीले रंग का होता हैं। यह दूध कोलोस्ट्रम के नाम से भी जाना जाता हैं। और यह कोलोस्ट्रम आपके शिशु के मिकोनियम को शिशु के शरीर से बाहर निकालता हैं।
आमतौर पर नवजात शिशु के तीन दिनों में बदल जाता हैं, मगर यह निर्भर करता हैं, कि आपका शिशु स्तनपान कर रहा हों।
इस दौरान आपका शिशु बहुत की थोड़ा सा मल त्याग करता हैं। और पॉटी का रंग हरे भूरे रंग से मिलकर बना होता हैं। या सरसों की रंग की तरह भी हो सकता हैं।
इस दौरान थोड़ी दुर्गंध भी आ सकती हैं, यह बहुत ही पतला होगा, यह फटे हुए दूध की तरह होता हैं।
फॉर्मूला दूध पीने वाले नवजात शिशु की पॉटी कैसी होती हैं?
कई माता पिता यह पूछते हैं, स्तनपान के बाद शिशु की पॉटी और फ़ॉर्मुला दूध पीने के बाद शिशु की पॉटी सामान्य होती हैं। इसका जबाव नहीं हैं। स्तनपान के दौरान एक प्राकृतिक दूध शिशु को मिलता हैं, जो शिशु के शरीर के बनावट के अनुसार ढ़ल जाता हैं, वही फ़ॉर्मुला दूध में बहुत सारे आवश्यक तत्व अलग से मिलाये जाते हैं। जिससे बच्चे की पॉटी में फर्क आ जाता हैं।
फोर्मुला दूध पीने वाले शिशु की पॉटी थोड़ा गाढा होता हैं, क्योंकि यह नवजात शिशु सही से पचा नहीं पाता हैं। आप इसे टूथपेस्ट से तुलना कर सकते हैं।
फ़ॉर्मुला दूध पीने वाले शिशु की पॉटी पीला भूरा रंग का होता हैं। और यह व्यस्क के मल जैसा दुर्गंध देता हैं।
यदि नवजात शिशु स्तनपान को छोड़कर फ़ॉर्मुला दूध पीता हैं, तो क्या होगा?
जब आपका नवजात शिशु पहले स्तनपान कर रहा था, और अब वह फ़ॉर्मुला दूध पीना शुरु किया हैं, तो आपको जैसा उपर बताया गया हैं, कि फ़ॉर्मुला दूध पीने वाले शिशु की पॉटी कैसी होगी, आपको समझ आ गया होगा।
फ़ॉर्मुला दूध पीने के बाद शिशु की पॉटी अब गहरे रंग में बदल कर गाढ़ा हो जायेगी।
अगर आपने स्तनपान छुड़ाने के बाद फ़ॉर्मुला दूध की शुरुआत की हैं, तो आपको थोड़ा सब्र रखना होगा, और धीरे धीरे इसकी आदत डालनी होगी। क्योंकि कोई भी शिशु स्तनपान आराम से पचा लेता हैं। मगर फ़ॉर्मुला दूध पचाने में थोड़ी कठिनाई होती हैं।
नवजात शिशु की पाचन तंत्र बहुत अच्छी नहीं होती हैं। जब आपका बच्चा ठोस आहार लेना शुरु करता हैं, तो आपको बच्चे की पॉटी का रंग, रुप बदल देता हैं।
आमतौर पर आपका शिशु जिस रंग रूप का भोजन करता हैं, उसी की तरह पॉटी भी करता हैं। जैसे कि, अगर आपका शिशु गाजर खाता हैं, तो उसकी पॉटी गाजर के रंग की चटक नारंगी हो जायेगी।
और सबसे जरूरी जब आप अपने नवजात शिशु को ठोस आहार में फाइबर युक्त आहार देते हैं, तो आपका शिशु इसे वैसा ही बाहर निकाल देगा। कारण अभी नवजात शिशु का पाचन तंत्र मजबूत नहीं कि कुछ भी पचा पाये।
आप अपने शिशु को धीरे धीरे नई नई वैरायटी की भोजन दे। शुरुआत प्यूरी से करे, और फाइबर युक्त भोजन ना दे। आप फल दे सकते हैं।
जब आपका नवजात शिशु ठोस आहार लेना शुरु कर देगा, तो उसकी पॉटी भी वयस्क की तरह बदबूदार दुर्गंध वाली होगी।
शिशुओं में पॉटी के अलग अलग रंग होने का क्या कारण है?
बच्चों के पॉटी या मल का रंग हमेशा बदलते रहता हैं। मगर कुछ ऐसे रंग भी होते हैं, जो बच्चे के अस्वस्थ होने का संकेत देते हैं।
यहाँ निम्नलिखित मल के रंग के बारे में विस्तार से जाने कि कौन सा रंग बच्चे के लिए समस्या हैं, और कौन सा रंग बच्चे के लिए स्वस्थ हैं।
काले रंग की पॉटी (Black Poop In Baby In Hindi) :
काले रंग की पॉटी एक नवजात शिशु करता हैं, जब वह गर्भ में रहता हैं, जो कुछ भी उसके पेट में गर्भावस्था के दौरान होता हैं, तब नवजात शिशु काले रंग का पॉटी करता हैं।
यह पॉटी शिशु जन्म के बाद पहली बार के मल त्याग पर होता हैं। इस पॉटी को जातविष्ठा (Meconium) या नवजात शिशु का प्रथम मल के नाम से जानते हैं।
यह एक सामान्य प्रक्रिया हैं। इसके लिए आपको चिंतित होने की जरुरत नहीं हैं। धीरे धीरे बच्चे की पॉटी का रंग बदल जायेगा।
यदि आपका नवजात शिशु चार दिन के बाद काले रंग का पॉटी करता हैं, तो यह सामान्य नहीं हैं। आपको अपने बाल रोह विशेषज्ञ के पास जाना आवाश्यक हैं।
हरे रंग की पॉटी (Green Poop In Baby In Hindi) :
नवजात शिशु के जन्म के कुछ दिन बाद कभी कभी हरे रंग की पॉटी होती हैं। ऐसा होना भी एक सामान्य प्रक्रिया हैं। जब नवजात शिशु छह महीने तक सिर्फ स्तनपान करते हैं, तो जब भी आपके शिशु को पानी की कमी होती हैं, तो कभी कभी पॉटी का रंग हरा हो जाता हैं।
आमतौर पर फ़ॉर्मुला दूध का सेवन करने वाले 50 प्रतिशत शिशु का पॉटी का रंग हरा ही होता हैं।
गहरा हरे रंग का पॉटी (Dark Green Poop In Baby In Hindi):
गहरे रंग की पॉटी भी नवजात शिशु को होता हैं। यह सिर्फ फ़ॉर्मुला दूध का सेवन कर रहे नवजात शिशु को होता हैं। गहरे हरे रंग के पॉटी के लिए आपको चिंतित होने की आवश्यकता नहीं हैं।
पीला रंग की पॉटी (Yellow Poop In Baby In Hindi):
यह एक नवजात शिशु के जन्म होने के चार दिन बाद होता हैं। अगर आपके बच्चे को पीले रंग की पॉटी होती हैं, तो यह अच्छा समाचार हैं। यह आपके बच्चे के स्वस्थ होने का संकेत हैं।
चमकीला पीले रंग की पॉटी (Bright Yellow Poop In Baby In Hindi):
चमकीला पीले रंग की पॉटी बच्चे के जन्म के पाँच दिन बाद हो सकता हैं। यह पॉटी चमकीला पीले रंग के साथ पतला होता हैं।
ज्यादात्तर मामलों में चमकीला पीले रंग की पतली पॉटी बच्चों में डायरिया (Diarrhea) का संकेत होता हैं। इस मामले में आपको अपने बाल रोग विशेषज्ञ से सुझाव लेना आवश्यक हैं।
संतरे के रंग की पॉटी (Orange Poop In Baby In Hindi) :
इस तरह की पॉटी का रंग भी आपके बच्चे के लिए अच्छा नहीं हैं। अगर आपके बच्चे को संतरे के रंग की पॉटी हो रही हैं, तो यह पीलिया होने का संकेत हैं।
ऐसे में आपको अपने बाल रोग चिकित्सक से जरूर सम्पर्क करना चाहिए।
लाल रंग की पॉटी (Red Poop In Baby In Hindi):
लाल रंग के नाम से ही आप समझ सकते हैं, यह एक खतरे का रंग हैं, ऐसे रंग की पॉटी भी आपके बच्चे के लिए अच्छा नहीं हैं। यह आपके बच्चे के लिए बिल्कुल भी सामान्य नहीं हो सकता हैं।
जब पॉटी में खून मिल जाता हैं, तो पॉटी का रंग लाल हो जाता हैं। इस तरह की पॉटी में डिसेंट्री इन्फेक्शन (Dysentery infection) होने का खतरा होता हैं। आपको तुरंत ही बाल रोग चिकित्सक से सम्पर्क करने की आवश्यकता हैं।
सफेद रंग की पॉटी (White Poop In Baby In Hindi):
सफेद रंग की पॉटी बच्चे के पेट में हुई खराबी के कारण होता हैं। यह बच्चे के स्तनपान के दौरान होता हैं, जब बच्चे ने दूध को सही से नहीं पचाया हो तो ऐसा होता हैं।
सामान्यतः नवजात शिशु की जल्दी पाचन तंत्र इस समय तक विकसित नही होती हैं। आपको इस मामले में भी अपने डॉक्टर से सम्पर्क करने की शिफारिस की जाती हैं।
सीमेंटी रंग या ग्रे रंग की पॉटी (Gray Poop In Baby In Hindi) :
बच्चे को सीमेंटी रंग की पॉटी होना सबसे खतरनाक माना गया हैं, क्योंकि इसमें बच्चे को किसी बड़े बीमारी होने का संकेत होता हैं।
यदि बच्चे को सीमेंटी रंग की पॉटी होती हैं, तो यह बच्चे में लिवर, गाल ब्लैडर या पेनक्रियाज संबंधी कोई समस्या का कारण होता हैं।
ऐसा होने पर आपको जरा सा भी देरी नहीं करना हैं, आपको अभी अपने बच्चे को डॉक्टर या बाल रोग विशेषज्ञ के पास जाना चाहिए।
शिशुओं में मल से जुड़ी समस्याओं और उनके लक्षण (Navajaat Shishu Ki Potty Problems and Symptoms):
नवजात शिशु में पॉटी या मल से जुड़ी बहुत सारी समस्या होती हैं, जिनके संकेत आपको समझना अति आवश्यक हैं, क्योंकि आपका नवजात शिशु इतनी जल्दी खुद आपको अपनी समस्या के बारे में नहीं बताता हैं।
आपको यहाँ बच्चों की पॉटी से जुड़ी कुछ सामान्य समस्या बतायेंगे, जिसके द्वारा आप खुद अपने बच्चे को होने वाली समस्या को समझ पायेंगे, और अपने बाल रोग विशेषज्ञ या डॉक्टर के पास ले जाकर अपने नवजात शिशु का इलाज कर पायेंगे। कुछ ऐसी समस्या भी हैं, जिसके लिए आप खुद ही अपने शिशु को बीमारी होने से पहले सुरक्षित रख सकते हैं, या उपचार कर सकते हैं।
नवजात शिशु की पॉटी से जुड़ी निम्नलिखित समस्याएँ हैं।
शिशु को दस्त या डायरिया की समस्या होना:
यदि आपने नवजात शिशु को दस्त हो गया हो, तो आपके नवजात शिशु को बहुत पतला पॉटी होगा। और आपका शिशु कई बार मल त्याग कर सकता हैं। और पॉटी एक जोड़दार विस्फोटक की तरह निकलता हैं।
जब बच्चा स्तन का दूध पीता हैं, तो उसे दस्त ना के बराबर होने की संभावना होती हैं। क्योंकि स्तन के दूध में एंटोबायोटिक होता हैं, जो बच्चे को कई तरह के संक्रमण से बचाता हैं।
वही फ़ॉर्मुला दूध और बोतल से दूध पीने वाले शिशु को संक्रमण का खतरा अधिक होता हैं। अगर आप भी अपने शिशु को बोतल से दूध पिलाती हैं, तो आपको अपने शिशु के दूध के बोतल को अच्छी तरह स्टेरलाइज करना चाहिए। आपको बच्चे के दूध के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले सभी वस्तु और उपकरण को स्टेरलाइज करना चाहिए।
शिशु को दस्त होने का मुख्यतः कारण संक्रमण, किसी भोजन के द्वारा हुई एलर्जी, अत्यधिक फल या फलों का जूस का सेवन, किसी दवाई का प्रतिक्रिया होता हैं।
कई बार बच्चे को पिलाये जाने वाले फ़ॉर्मुला दूध की प्रतिक्रिया भी बच्चे के दस्त का कारण होता हैं। आपको अपने डॉक्टर से बात कर के फ़ॉर्मुला दूध बदलने के बारे में पूछना चाहिए।
बच्चे के दाँत निकलने का संबंध दस्त से नहीं होता, दाँत आने पर जरूर मल पतला होता हैं, मगर यह दस्त का कारण नहीं होता।
अगर आपका नवजात शिशु एक दिन में छह बार से अधिक पतले मल का त्याग करे तो आपको तुरंत बाल रोग विशेषज्ञ या डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए। क्योंकि ज्यादा बार मल त्याग शिशु के शरीर में पानी की कमी या निर्जलीकरण (Dehydration) का कारण हो सकता हैं।
शिशु को कब्ज की समस्या होना :
अगर आपके नवजात शिशु को मल त्याग करने में ज्यादा जोर लगाना पड़ रहा हो, शिशु की पॉटी चटक लाल रंग की होती हैं, शिशु की पॉटी थोड़ा या बहुत सूखा हो रहा हो, कभी कभी ठोस पॉटी हो, आपके शिशु का पेट छूने पर ज्यादा कड़ा महसूस हो, और अगर आपके शिशु के पॉटी में ताजा खुन दिखाई दे रहा हो, तो ये सारे लक्षण नवजात शिशु को कब्ज की और इशारे करते हैं।
स्तनपान करने वाले नवजात शिशु को कब्ज की शिकायत नहीं होती हैं। मगर फ़ॉर्मुला दूध का सेवन करने वाले नवजात शिशु को कब्ज की शिकायत हो जाती हैं।
स्तनपान में शिशु की आवश्यकता के अनुसार सभी पोषक तत्व मिल जाते हैं, जिससे शिशु को कभी कोई पॉटी की समस्या नहीं होती हैं। और पॉटी को मुलायम बने रखती हैं, जिससे शिशु को कब्ज की शिकायत नहीं होती।
सामान्यतः फ़ॉर्मुला दूध में अधिक पॉउडर की मात्रा के कारण भी शिशु को कब्ज की शिकायत रहती हैं।
कब्ज होने के कारण शिशु को बुखार, निर्जलीकरण जैसी समस्या हो जाती हैं।
आपको अपने नवजात शिशु को कब्ज जैसी समस्या से बचाने के लिए शिशु को तरल पदार्थ जैसी आहार ही अधिक मात्रा में शिशु को दे। अगर आपको कभी भी बच्चे की पॉटी में उपर बताये गये लक्षण दिखाई दे, या ताजा खून पॉटी में आये, तो ऐसे में आपको अपने नवजात शिशु को तुरंत बाल रोग विशेषज्ञ या डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए।
यदि नवजात शिशु हरे रंग की पॉटी कर रहा हैं, तो यह शिशु के किसी भोजन या खाद्य पदार्थ के प्रति संवेदनशील होने के कारण या किसी भोजन की प्रतिक्रिया के कारण होता हैं। कभी कभी यह किसी दवा के प्रति साइड इफेक्ट का भी नतीजा हो सकता हैं।
नवजात शिशु की पॉटी हरे रंग का मतलब हैं, कि शिशु की पेट में कोई संक्रमण हो गया हैं। ऐसे में आपको अपने शिशु को बाल रोग विशेषज्ञ के पास ले जाता उचित होगा, क्योंकि सामन्यतः पॉटी का रंग बदलना नवजात शिशु के स्वास्थ्य के लिए सही नहीं होता हैं।
एक अध्ययन के अनुसार, कभी कभी हरे रंग की पॉटी होने पर आपको चिंता नहीं करनी चाहिए, और एक से अधिक हो, तो डॉक्टर के पास शिशु को जरुर जाँच कराये।
हरे रंग की पॉटी नवजात शिशु तब करता हैं, जब शिशु स्तनपान कर रहा हो, और वह अग्रदूध का सेवन कर ले, अग्रदूध का मतलब कम वसा युक्त दूध। ऐसे में आपको अपने नवजात शिशु को स्तनपान करने में शिशु को और भी आराम की जरुरत हो सकती हैं। कई बार जब शिशु अच्छे से दूध नहीं पीता हैं, तो शिशु सूश को पचा नहीं पाता हैं।
नवजात शिशु को अर्धलेटी अवस्था में स्तनपान कराने से शिशु को ज्यादा आराम महसूस होता हैं।
कुछ मामलों में फ़ॉर्मुला दूध पिलाना भी नवजात शिशु को हरे रंग की पॉटी का कारण होता हैं, ऐसे में आपको अपने डॉक्टर से पूछ कर फ़ॉर्मुला दूध के ब्रांड और क़्वालिटी की जाँच कराये।
शिशु को पीलिया की समस्या होना :
Navajaat Shishu Ki Potty Problems: जब नवजात शिशु को बहुत ही फीके रंग की पॉटी हो, तो यह शिशु में पीलिया होने का संकेत होता हैं।
पीलिया होने पर शिशु के शरीर पर पीलापन दिखाई देता हैं। खास कर सफेद हिस्सा जैसे कि, आँख, और त्वचा। आगर आपके बच्चे में ऐसे कोई लक्षण दिखाई दे तों आप तुरंत ही बाल रोग चिकित्सक या डॉक्टर से सम्पर्क करे।
शिशु की पॉटी में खून आने की समस्या :
Navajaat Shishu Ki Potty Problems: नवजात शिशु की पॉटी में खून आना सिर्फ कब्ज नहीं हैं। कब्ज में शिशु की पॉटी में खून की धारियां/धब्बे दिखाई देंगे, क्योंकि कड़ा मल आने के कारण शिशु की गुदा के पास त्वचा फट जाती हैं। जिसे अंग्रेजी में एनल फिशर (Anal fisher) के नाम से जानते हैं।
लेकिन शिशु की पॉटी में हमेशा खून दिखाई देना बच्चे की आंत में हुए संक्रमण का संकेत हैं। ऐसे में आपको तुरंत बाल रोग चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिए।
यदि नवजात शिशु की पॉटी में काले रंग का खून दिखाई दे रहा हैं, तो यह स्तनपान के दौरान कटे फटे माँ के स्तनों से खून निगलने के कारण होता हैं, क्योंकि काला खून एक पचाया हुआ खून होता हैं। यह आमतौर पर तिल के दाने की तरह होता हैं।
हालांकि, ऐसे मामलों में आपको चिंता की बात नहीं हैं, मगर आपको भी अपना ख्याल रखना चाहिए, क्योंकि आप अगर कमजोर रहेंगी, तो आपका नवजात शिशु भी बीमार पड़ जायेगा। ऐसे में आपको स्तन रोग विशेषज्ञ या डॉक्टर से सम्पर्क करने की आवश्यकता हैं।
नवजात शिशु की पॉटी में किसी भी तरह की खून आने की समस्या हैं, आपको डॉक्टर से जरूर सम्पर्क करना चाहिए, क्योंकि आपको यह सुनिश्चित करना आवश्यक हैं, शिशु को उपरी आन्त्र प्राणाली से खून तो नहीं आ रहीं।
उम्मीद हैं, आपको अपने नवजात शिशु की पॉटी या मल संबंधी समस्याओं के बारे में विस्तृत जानकारी मिल गयी होगी, साथ ही आपने यह भी जाना, कि शिशु की पॉटी की समस्या होने पर आप कैसे लक्षण से पता करेंगे, और कौन से कारण से नवजात शिशु को पॉटी संबंधी समस्या हुई हैं। और आपको किस तरह की उपचार करनी चाहिए।
आपको नवजात शिशु की कुछ तरह की पॉटी आने पर भले बाल रोग चिकित्सक या डॉक्टर के पास नहीं जाना हैं, लेकिन कोई अन्य उपर बताये गये लक्षण दिखायी दे तो आपको डॉक्टर के पास जाने से देर भी नहीं करनी चाहिए।
Conclusion (Navajaat Shishu Ki Potty Problems):
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