Navajaat Shishu Ko Bottle Se Doodh Pilaane Ke Phaayade Aur Nukasaan
Navajaat Shishu Ko Bottle Se Doodh Pilaane Ke Phaayade Aur Nukasaan: नए माता पिता जब पहली बार माता पिता बनते हैं, वो अपने बच्चे के लिए सबसे अच्छा और सुरक्षित करना चाहते हैं। ऐसे में अपने नवजात Shishu Ko Bottle Se Doodh Pilaane के बारे में तरह तरह के बाते बताये जाते हैं। हालांकि, कुछ माँ स्तनपान कराने में असमर्थ होती हैं, और कुछ माँ स्तनपान नही कराना चाहती हैं। इसके कारण कुछ भी हो सकते हैं, जैसे कुछ माँ का सिजेरियन डिलीवरी होने के कारण वो अपने बच्चे को स्तनपान कराने में असमर्थ होती है, तो कभी कोई बाहर काम करने के कारण अपने बच्चे को बोतल से दूध पिलाना ही एक विकल्प होता हैं। चुँकि स्तनपान सार्वजनिक जगह पर कराना सुरक्षित भी नही होता हैं। इससे माँ और बच्चों को संक्रमण होने का खतरा होता हैं।
स्तन का दूध कैसे फ़ॉर्मला दूध से कैसे अच्छा हैं।
स्तन के दूध में नवजात शिशु को होने वाले फायदे?
- स्तन के दूध में एंटीबॉडी होते हैं, जो शिशु को कई तरह की बीमारियों से बचाने मदद करते हैं।
- स्तनपान कराने से माँ और बच्चे में बॉन्डिग बढ़ता हैं।
- स्तनपान से शिशु के अंग का विकास में जल्द सहायक होते हैं।
- नवजात शिशु का पाचन तंत्र मजबूत होता हैं।
- बच्चे के मस्तिष्क, तंत्रिका तंत्र, और आँखों के अच्छे विकास में मदद करता हैं।
- स्तन के दूध में पाया जाने वाला न्युक्लियोटाइड और हार्मोन बच्चे के स्वस्थ्य नींद के पैटर्न को विकसित करता हैं।
- स्तनपान करने वाले शिशु को कान में किसी तरह का संक्रमण नही होता।
- उन्हे जल्दी दस्त नही होती हैं।
- शिशु को स्वासप्रणाली में भी कीसी संक्रमण का खतरा नही होता।
- स्तनपान करने वाले शिशु को एलर्जी, दमा, मधुमेह, मोटापा, जैसी बीमारी का खतरा नही होता।
- स्तनपान करने वाले शिशु को अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (SIDS) जैसी खतरा भी नही होती।
फ़ॉर्मुला दूध क्या है?
फॉर्मूला दूध से नवजात शिशु की चुनौतिया:
- फ़ॉर्मुला दूध में एंटीबॉडी का अभाव होता हैं, जिससे नवजात शिशु को संक्रमण होने का खतरा होता हैं। कोई भी बीमारी से नवजात शिशु को कोई सुरक्षा प्रदान नही करती हैं।
- फ़ॉर्मुला दूध स्तन दूध की जटिलता के जैसे नही होते। जिससे बच्चे की जरुरतों के अनुसार बदलता रहता हैं। स्तनपान बच्चे के जन्म के बाद कोलोस्ट्रोम, में बदलता हैं, जिससे शिशु को जैसी जरुरत होती हैं, उसे मिलते रहती हैं।
- फ़ॉर्मुला दूध से शिशु को गैस और कब्ज आदि होने की सम्भावना होती हैं।
- फ़ॉर्मुला दूध में अधिक प्रोटीन और वसा होता हैं, जो नवजात शिशु के दीर्घकालिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं हो सकता हैं।
फ़ॉर्मुला दूध कितने प्रकार के होते हैं।
यहाँ सामान्य प्रकार के नवजात शिशु के लिए फार्मूले के प्रकार:
- दूध-आधारित, लौह-गढ़वाले फ़ॉर्मुला: 12 माह से कम उम्र वाले नवजात शिशु को गाय का दूध पचाने में कठिनाई होती हैं। मगर बोतल से दूध पिलाने के लिए फ़ॉर्मुला दूध को बनाने के लिए गाय का दूध की आवश्यकता पड़ती हैं। यह फ़ोर्मुला दूध ग़ाय के दूध के साथ प्रोटीन को आसानी से पचाने में मदद करता हैं। इस फॉर्मुला दूध में लैक्टॉज, लोह मौजूद होता हैं, जो नवजात शिशु के विकास के लिए आवश्यक हैं। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (AAP) के अनुसार, बच्चे के 12 माह तक लौह-गढ़वाले फार्मूले की सिफारिश की जाती है।
- हाइड्रोलाइज्ड फॉर्मूला: इस फ़ॉर्मुले में प्रोटीन की मात्रा विभिन्न टुकड़ों में टूट जाता हैं। जिससे नवजात शिशु को इसे पचाने में असानी होती हैं। मगर यह फॉर्मुला अधिक महंगा होता हैं। और डॉक्टर इस फ़ॉर्मुला को बच्चे को देने से पहले एलर्जी को सुनिश्चित करने की शिफारिस करते हैं।
- सोया-आधारित फ़ॉर्मुला: यह फॉर्मुला सोया-आधारित फ़ॉर्मुला विटामिन, खनिज और पोषक तत्वों के साथ सोयाबीन से बने होते हैं। मगर अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (AAP) के अनुसार, यह सोया-आधारित फ़ॉर्मुला केवल कुछ खास परिस्थिति में ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
- विशेष फ़ॉर्मुला: कुछ फ़ोर्मुला दूध बच्चों के लिए आवश्यक तत्व की आवश्यकता होती हैं। बच्चे गाय का दूध और सोया दोनों के लिए एलर्जीक होते हैं। यह फ़ॉर्मुला तब तक बच्चे को नही देना चाहिए, जब तक कि आपको बाल रोग विशेषज्ञ द्वारा इस फ़ोर्मुले को इस्तेमाल करने की अनुमती नही मिलती तब तक इस फ़ॉर्मुले का उपयोग नही करना चाहिए।
- ऑर्गेनिक फॉर्मूला: यह फॉर्मुला उन उत्पाद से आते है, जो कि कीटनाशकों, हर्बिसाइड्स, एंटीबायोटिक्स या ग्रोथ हार्मोन के उपयोग के बिना पैदा होते हैं। और कुछ कार्बनिक फ़ॉर्मुला चीनी से भी मीठे होते हैं। और यह फ़ॉर्मुला में उपयोग की जाने वाली मीठे की तुलना में अधिक मीठा होता हैं। और इतने मीठे फ़ॉर्मुला के इस्तेमाल से बच्चों में अधिक वजन, दाँत जैसी समस्या होने का खतरा होता हैं।
हालांकि, आपको लेबल जाँच कर के ही फॉर्मुला को खरीदे। और किसी भी फॉर्मुला दूध को खरीदने से पहले अपने बाल रोग चिकित्सक से जरुर पूछे।
बोतल से दूध पिलाना से फायदे और नुकसान :
बोतल से दूध पिलाने की फायदे क्या है?
(Navajaat Shishu Ko Bottle Se Doodh Pilaane Ke Phaayade Aur Nukasaan)
- बोतल से दूध पिलाने का सबसे बड़ा फायदा हैं, अब बच्चे को दूध पिलाने के लिए सिर्फ माँ अकेली नही थकेगी। माँ के साथ साथ पिता भी अपने बच्चे को दूध पिला सकते हैं। जिस दौरान माँ कुछ आराम कर सकती हैं। और साथ ही माँ के अलावा बच्चे को परिवार के अन्य सदस्य भी दूध पिला सकते हैं।
- वेसे तो, बच्चे को दूध पिलाना बच्चेके साथ बॉन्डीग या बच्चे को आपको जानने का मौका मिलता हैं। बच्चा जिससे दूध पिता हैं, उसके पास वो खुद को सुरक्षितमहसूस करता हैं।
- स्तनपान कराने के लिए माँ को एक एकांत जगह या निजी क्षेत्र की जरुरत होती हैं। बल्कि बोतल से दूध पिलाने के लिए सार्वजनिक रुप से बच्चे को दूध पिलाने में कोई असहजता महसूस नही होती।
- बोतल से दूध पिलाने के दौरान आप यह पता कर सकते हैं, कि आपका बच्चा सही से दूध पी रहा हैं, या नही। आप यह माप सकते हैं, कि आपका बच्चा कितना दूध पी रहा हैं।
- कई बार माँ को चिंता होती हैं, उनके स्तन के दूध की आपूर्ति कम हो रही हैं। ऐसे में आपका बच्चा कमजोर हो सकता हैं। ऐसे में बोतल से दूध पिलाना एक अच्छा विकल्प हैं, मगर ऐसे में आपको अपने नवजात शिशु को देने वाले दूध के पोषकता की जाँच होना आवश्यक होता हैं।
- वैसी माताएँ जो अपने बच्चे को फ़ॉर्मुला दूध पिलाती हैं, उन्हे अपने भोजन में कोई भी खाद्य पदार्थ खाने में कोई परेशानी नही होती। आउर साथ ही वो चाहे तो कोई भी डायट को शुरु कर सकती हैं।
- अगर माँ बीमार भी पड़ती हैं, तो भी इसका प्रभाव बच्चे को प्रभावित नही करता।
बोतल से दूध पिलाने के नुकसान क्या हैं?
(Navajaat Shishu Ko Bottle Se Doodh Pilaane Ke Nukasaan)
- एक फ़ॉर्मुला दूध कभी भी स्तन के दूध की तुलना नही कर सकता। स्तन के दूध में सभी जरुरी पोषक तत्व मौजूद होते हैं। जो बच्चे के सही विकास के लिए आवश्यक होता हैं।
- फ़ॉर्मुला दुध पिलाने से बच्चे में मोटापे का खतरा होता हैं।
- बोतल से दूध पिलाने में बहुत परेशानी होती हैं, जैसे कि, अगर आपका बच्चा जब भी दूध की माँग करता हैं, उस समय आप अपने बच्चे को तुरंत बोतल का दूध नही दे सकती, जबकि आप तुरंत स्तनपान करा सकती हैं।
- बोतल सए दूध पिलाने में आपको बहुत सारे खर्च का सामना करना पड़ता हैं, जैसे कि आपको फ़ॉर्मुला, बोतल जैसे वस्तु को खरीदना आवश्यक हैं। साथ ही बोतल को स्टेरिलाइज़ करने के लिए ब्रश, स्टीम स्टेरिलाइज़ मशीन और भी बहुत सारे समानों की आवश्यकता पड़ती हैं।
- विशेषज्ञ के अनुसार, स्तन के दूध में बच्चे को एंटीबॉडी, और प्रतिरक्षा तंत्र प्रदान करती हैं, जो बच्चे को हर तरह के संक्रमण और बीमारियों से बचाये रखता हैं। और फ़ॉर्मुला दूध में प्राकृतिक पोषक तत्व, एंटीबॉडी और प्रतिक्षा तंत्र जैसे फायदे नही होते। जिससे बच्चे को कई तरह के संक्रमण जैसे कि छाती, कान, आख, मल-मूत्र या दस्त आदि संक्रमण होने का खतरा होता हैं।
- बोतल से दूध पिलाने में माँ और बच्चे के बॉन्डिग या सम्बंध को प्रभावित करता है। जब बच्चा स्तनपान करता हैं, तो वह माँ के स्पर्श, त्वचा, सुगंध को पहँचान लेता हैं, बोतल से फीडींग में ऐसा नही होता।
- जब आप कही यात्रा पर जाते हैं, तो आपको बोतल की हाइजेनिक, साफ साफाई नही कर सकते। कभी आपका बच्चा निप्पल काट दे, तो आपको परेशानी हो सकती हैं। बच्चा बार बार दूध की मांग करेगा, तो आप अपने बच्चे को सही तापमान पर दूध उपलब्ध नही करा सकते हैं।
- कुछ वैज्ञानिक का दावा हैं, माँ भी स्तनपान कराने से कई तरह के बीमारियों के खतरे से बची रहती हैं। जैसे कि माँ को सतनपान कराने से स्तन कैंसर, डिम्बग्रंथि के कैंसर और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा नही होता।
उम्मीद हैं, आपको फ़ॉर्मुला दूध या बोतल से दूध पिलाने के सम्बंध में सारे प्रश्नों के जवाब मिल गये होंगे। और आपको अगर फ़ॉर्मुला दूध के बारे में तय करने में मुस्किल हो रही हों, या आप फ़ॉर्मुला दूध की शुरुआत करना चाहते हैं, तो आपको अपने बाल रोग चिकित्सक या विशेषज्ञ से पूछ्ना आवश्यक हैं। आपको यह भी सुनिश्चित करना चाहिए, अपने नवजात शिशु के स्वास्थ्य के प्रति कोई भी लापरवाही नही करनी चाहिए। आपको हमेशा अपने डॉक्टर के सलाह के बिना अपने बच्चे के लिए कोई भी बदलाव नही करनी चाहिए।
संदर्भ:
Breastfeeding vs. Formula Feeding By Kids Health
Bottle-Feeding Advantages and Disadvantages By Firstcry Parenting